विदेशियों की राय: स्वच्छ भारत के लिए बदलनी होगी मानसिकता

Keep Clean
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नई दिल्ली ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘स्वच्छ भारत मिशन’ पर कूटनीतिज्ञों और विदेशी पर्यटकों का कहना है कि यदि इस अभियान को अगले पांच वर्षो में सफल बनाना है और वास्तव में भारत को गंदगी मुक्त करना है तो लोगों की मानसिकता बदलनी होगी। स्वीडन के राजदूत हराल्ड सैंडबर्ग ने कहा, ‘मेरा मानना है कि सभी विकसित या विकासशील देशों में स्वच्छ पर्यावरण को लेकर बहुत देर में चेतना आई।’ उन्होंने कहा, ‘भारत में इसके महत्व को अब समझा जा रहा है, यह अच्छी बात है। मेरा मानना है कि पर्यावरण की रक्षा की शुरुआत हमें अपने घर से करनी चाहिए।

इसके बाद हमें बड़े स्तर पर राष्ट्रीय और वैश्विक मुद्दों पर काम करना चाहिए।’
नामीबिया के राजदूत पायस डुनाइस्की ने कहा, ‘‘इतनी बड़ी आबादी वाले देश में सरकार का लोगों को इस तरह अभियान से जोड़ना प्रभावित करने वाला है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर मोदी सरकार देश के हर कोने में खासकर बड़े शहरों के लोगों को स्वच्छता के प्रति सजग करने और लोगों की मानसिकता बदलने में सफल होती है तो भारत साफ-सफाई में किसी यूरोपीय देश जैसा हो सकता है।’ सराहनीय पहल प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को अभियान की शुरुआत करते हुए दिन में दो-दो बार झाड़ू पकड़ी। मोदी ने मंदिर मार्ग पुलिस थाने और वाल्मीकि कॉलोनी में सफाई कर अभियान की शुरुआत की।

गौरतलब है कि महात्मा गांधी एक बार सफाईकर्मियों की इसी बस्ती में ठहरे थे। इंग्लैंड से भारत घूमने आए क्रिस्टाइन बालरे ने कहा, ‘भारत में इस अनिवार्य सफाई अभियान को देखना कमाल का अनुभव है। यह एक अच्छी पहल है, लेकिन सफाई बहुत ही मूलभूत शिष्टाचार है जिसे लोगों को जबरन नहीं सिखाया जा सकता। मानसिकता में बदलाव जरूरी है। भारतीय अभी भी सड़कों पर मूत्र त्याग करते हैं जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।’

हानिकारक वस्तुओं पर लगे बैन ब्रिस्टल से भारत घूमने आईं डिजाइनर कार्लिसा शेरवेल ने कहा, ‘सफाई रखना हर नागरिक का मूल कर्तव्य है। अगर लोग अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ नहीं रखना चाहते तो सरकार द्वारा शुरू किए गए अभियान से उनकी मानसिकता को कैसे बदला जा सकता है?’ उन्होंने आगे कहा कि यूरोपीय देशों ने प्लास्टिक की थैलियों और पर्यावरण के लिए हानिकारक अन्य वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। जब उन्हें बताया गया कि भारत में भी इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है तो उनका कहना था कि इसे लागू नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा, ‘भारत में घूमते हुए मैंने देखा है कि लोग खुद प्लास्टिक की थैलियां मांगते हैं।’
 

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