विन्ध्याचल

विन्ध्य का पठार- मालवा पठार के उत्तर में तथा बुन्देलखण्ड पठार के दक्षिण में विन्ध्य का पठारी प्रदेश स्थित है। इस प्रदेश के अन्तर्गत प्राकृतिक रूप से रीवा, सतना, पन्ना, दमोह, सागर जिले के कुछ हिस्से शामिल हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 31,954 किलोमीटर है। विन्ध्य शैल समूह के मध्य (आधा महाकल्प) आर्कियन युग की ग्रेनाइट का प्रदेश टीकमगढ़, पश्चिमी छतरपुर, पूर्वी शिवपुरी और दतिया में पड़ता है।

सतपुड़ा और विन्ध्याचल दोनों ही मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण पर्वत मालाएँ हैं। जिसमें विन्ध्याचल का अलग ही महत्व है। विन्ध्याचल हिमालय से पुराना है। इसकी ऊँचाई पहले हिमालय से अधिक थी। विन्ध्य में वनों का प्राकृतिक सौंदर्य अत्यंत पुरातन है। बाणभट्ट ने अपनी कृति ‘कादम्बरी’ में इसका विशद् वर्णन किया है।

विन्ध्य सप्त महान् पर्वतों में से एक माना गया है। इसे समस्त पर्वतों का मान्य स्वीकार किया गया है। महाभारत के भीष्म पर्व में उल्लिखित है कि-

महेन्द्रो मलयः सह्य शक्तिमान ऋक्षवानपि,
विन्ध्यश्च परियात्रश्च सप्रैते कुल पर्वताः।


(महाभारत, भीष्म पर्व अं. 9 श्लोक 11)

पाण्डवों ने भी अपने अज्ञातवास का अधिकांश समय विन्ध्याचल की पर्वतमालाओं, गुफाओं, नदियों के तटों और वन प्रांतरो में बिताया था। भगवान राम ने अपने वनवास का अधिकांश समय इसी प्रदेश में व्यतीत किया। रहीम ने कितना सच कहा कि जिस पर विपत्ति पड़ती है, वह विन्ध्य की शरण में आता है। ऐसा कहा जाता है कि भर्तृहरि ने भी विन्ध्याचल में तपस्या की थी।
 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading