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वर्मीकम्पोस्ट : पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद

वर्मीकम्पोस्ट बनाने की एक प्रक्रियावर्मीकम्पोस्ट बनाने की एक प्रक्रिया

वर्मीकम्पोस्ट (vermicompost) एक ऐसी खाद हैं, जिसमें विशेष प्रजाति के केंचुओं द्वारा बनाई जाती है। केंचुओं द्वारा गोबर एवं कचरे को खाकर, मल द्वारा जो चाय की पत्ती जैसा पदार्थ बनता हैं। यह खाद अब तक किसी प्रकार से तैयार की गई खाद के मुकाबले कई गुणा अधिक पोषक तत्वों से भरपूर हैं। केंचुए की खाद आम देशी खाद से आठ गुणा, भेड़, बकरी की मींगनी की खाद से चार गुणा एंव मुर्गी की बीट, इत्यादि से दो गुणा अधिक कारगर विभिन्न प्रयोगों में आंकी गई हैं। दूसरी विशेषता केंचुए की खाद ठंड़ी खाद हैं। जबकी गोबर एंव मुर्गी की बीट गर्म खाद होने के कारण इसे केंचुए की खाद की अपेक्षा अधिक पानी की आवश्‍यकता होती हैं। इसकी तीसरी विशेषता यह हैं कि इस खाद को किसी भी समय दिया जा सकता है। रबी फसलों में इस खाद के उपयोग से पाला पड़ने की समस्या से बहुत हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।

केंचुए की खाद (vermicompost) बनाने का तरीका :-


• इस खाद के निर्माण हेतु प्रत्येक घर एंव गांव में ही आसानी से उपलब्ध गोबर तथा कचरा एवं केंचुए द्वारा छायादार स्थान पर उचित पानी की उपलब्धता पर बहुत - कम लागत (औसत 20 से 30 पैसे प्रति किलो) में बिना किसी विशिष्ट उपकरणों के हम खुद के लिए एवं अधिक उत्पादन कर दूसरों को बेचने के लिए इस खाद को तैयार कर सकते हैं।
• केंचुए की खाद बनाने हेतु गोबर, कचरा, पानी एवं छायादार स्थान लगभग 6-8 फिट ऊँचाई युक्त स्थान का चुनाव किया जाता है। बेडे क़ी लम्बाई गोबर की खाद की उपलब्धता पर निर्भर करती हैं। परंतु चौड़ाई 3 फीट रखी जाती हैं।
• उपरोक्त बेड़े पर 3 से 4 इंच मोटी कचरे की परत लगानी चाहिए। यदि गोबर हो तो एक से डेढ़ फिट ऊंचाई तक इस बेडे क़ो भर देते हैं।
• इसमें उपयुक्त नमी बनाये रखते हैं। बेडे क़ो गीला करने के 2-3 दिन बाद केंचुए छोड़ दिये जाते हैं। बेडे में उपयुक्त नमी बनायें रखने हेतु पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। नमी कम होने पर केंचुए मर जाते हैं।
• बेडे में केंचुए छोड़ने के बाद इसको घास- फूस तथा पत्तियों के कचरे से ढंक दिया जाता हैं एवं ऊपर से बोरी द्वारा ढंक दिया जाता हैं। इस प्रक्रिया से उचित नमी एवं रोशनी कम होने के कारण केंचुए लगातार सक्रिय बने रहते हैं।
• वर्षा एवं सर्दी का मौसम छोड़कर गर्मी में हर रोज पानी का छिडकाव करते रहना चाहिए 35-45 दिनो के अंदर उपरोक्त कचरा/गोबर वर्मीकम्पोस्ट में बदल जाता हैं।

केंचुए की खाद से होने वाले लाभ:


• वर्मीकम्पोस्ट मिट्टी में रोकने की क्षमता में अप्रत्याशित वृद्धि करती है और पौधों को सभी पोषक तत्व उपलब्ध कराती है।
• खाद्य फसलों में 30-50 प्रतिशत चारे वाली फसलों में 40 प्रतिशत एवं फल व सब्जियों में 30-100 प्रतिशत तक वृद्धि देखी गई हैं।
• फसलों एवं फल व सब्जियों की गुणवत्ता रंग-रूप, पौष्टिकता, स्वाद में तुलनात्मक रूप से आश्चर्यजनक वृद्धि होती है।
• फसलों में कम पानी/सिंचाई की आवश्यकता।
• कम खर्च द्वारा अधिक लाभ प्राप्त करना।
• अधिक मात्रा में उत्पादन कर स्वरोजगार को बढ़ाना।

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संदर्भ:
http://agropedia.iitk.ac.in