केंद्र सरकार ने किया राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को कर छूट देने का ऐलान
गंगा नदी की स्वच्छता और पुनरुद्धार के लिए चल रहे केंद्र सरकार के ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम को एक बड़ी वित्तीय राहत दी गई है। वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) को आयकर छूट का विशेष दर्जा प्रदान किया है। यह छूट आकलन वर्ष 2024-25 से प्रभावी होगी और इससे गंगा संरक्षण से जुड़ी परियोजनाओं को आर्थिक रूप से और अधिक मजबूती मिल सकेगी।
आयकर विभाग और प्रत्यक्ष कर संबंधी फैसले लेने वाली संस्था (CBDT) की अधिसूचना के अनुसार वित्त मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को कर छूट के दायरे में रखने का फैसला किया है। अधिसूचना में कहा गया है कि सरकार के प्रमुख नमामि गंगे कार्यक्रम का कार्यान्वयन करने वाला राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) अब पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत गठित एक प्राधिकरण है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत गठित प्राधिकरण एनएमसीजी को आकलन वर्ष 2024-25 से आयकर छूट मिलेगी। यह छूट इस शर्त के अधीन है कि NMCG आयकर अधिनियम की धारा 10(46A) में उल्लिखित एक या अधिक उद्देश्यों के साथ पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत एक प्राधिकरण के रूप में काम करना जारी रखेगा।
किन शर्तों पर मिली है आयकर से छूट
अधिसूचना में यह भी स्पष्ट किया गया कि एनएमसीजी को यह छूट केवल इस शर्त पर दी जा रही है कि वह पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत प्राधिकरण के रूप में कार्य करता रहेगा और उस अधिनियम के तहत बताए गए उद्देश्यों का पालन करता रहेगा। साथ ही वह किसी भी वाणिज्यिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा और उसकी गतिविधियां और निर्दिष्ट आय की प्रकृति पूरे वित्तीय वर्ष में अपरिवर्तित रहेंगी। इसके साथ ही NMCG आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139 की उप-धारा (4सी) के खंड (जी) के प्रावधान के अनुसार सालाना अपना आयकर रिटर्न दाखिल करेगा। यह अधिसूचना वित्ती वर्ष (FY) 2019-20 से 2022-2023 के लिए यानी कर निर्धारण वर्ष (AY) 2020-21 से 2023-2024 के लिए लागू मानी जाएगी। बता दें कि किसी संस्थाको सरकार से टैक्स छूट का दर्जा तभी मिलता है जब सरकार उस संस्था को नियमित, पारदर्शी और जनहितैषी मानती है।
क्या है इस फैसले का मतलब
सरकार के इस फैसले के बाद अब जो व्यक्ति, संस्था या कॉर्पोरेट NMCG को दान देंगे, वे निश्चिंत होकर सहयोग कर सकते हैं क्योंकि संस्था को मिले पैसे पर टैक्स नहीं कटेगा। इसके अलावा अब इस संस्था की आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा। जो भी ग्रांट, CSR फंड या आमदनी होगी, वह बिना टैक्स कटे सीधे गंगा की सफाई, संरक्षण और जागरूकता अभियानों में खर्च की जा सकेगी। टैक्स में छूट मिलने से मिशन की आर्थिक सेहत सुधरेगी, जिससे यह योजना ज्यादा स्थायीत्व के साथ चल पाएगी। साथ ही इससे इस प्रोजेक्ट में लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि दान देने वालों (जैसे व्यक्ति, NGO, कंपनी आदि) को उस दान पर धारा 80G या किसी अन्य सेक्शन के तहत टैक्स में छूट मिलेगी या नहीं। यह तभी संभव है, यदि NMCG को 80G का पंजीकरण भी मिला हो या सरकार अलग से ऐसा नोटिफिकेशन जारी करे अथवा या NMCG किसी अन्य ऐसे ट्रस्ट के साथ लिंक हो, जो 80G में रजिस्टर्ड हो और उसके जरिए दान लिया जाए। फिलहाल तो CBDT की अधिसूचना से इतना ही स्पष्ट होता है कि NMCG को मिले दान पर संस्था को टैक्स नहीं देना होगा। दानदाताओं के लिए छूट की बात इस अधिसूचना में नहीं है।
NMCG को मिल रहे थे आयकर के नोटिस
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को 243.74 रुपये करोड़ की आयकर मांगों (Tax Demand) का सामना करना पड़ा है। इसका मुख्य कारण यह है कि संस्था का PAN अभी भी 'Association of Persons' (AOP) के रूप में पंजीकृत है, जबकि इसे 2016 में 'Government Authority' का दर्जा दिया गया था। इस विसंगति के कारण आयकर विभाग से बार-बार नोटिस मिल रहे हैं। इस विसंगति को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने NMCG को धारा 10(46) के तहत आयकर छूट प्रदान की है, जिससे अब इसे CBDT की ओर से Tax Demand का नोटिस भेजे जाने पर रोक लग जाएगी। बता दें कि 2015 में सरकार ने 'Clean Ganga Fund' में किए गए दान को आयकर छूट के लिए पात्र घोषित किया था। हालांकि, यह छूट 'Clean Ganga Fund' के लिए थी, न कि सीधे NMCG के लिए। इसलिए उसे लगातार टैक्स नोटिस मिल रहे थे।
क्या है NMCG, कैसे करता है काम
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे कार्यक्रम के क्रियान्वयन की प्रमुख संस्था है। इसकी स्थापना पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों की सफाई, प्रदूषण नियंत्रण, जैव विविधता का संरक्षण और घाटों व शवदाह गृहों का आधुनिकीकरण करना है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा नदी की सफाई के साथ ही इंटरसेप्शन और डायवर्जन परियोजनाओं के ज़रिए नालों के गंदे पानी को गंगा में गिरने से रोका जाता है। इसके तहत देश के विभिन्न इलाकों में 195 से अधिक प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाएं चलाई जा रही हैं और डेढ़ सौ से ज्यादा घाटों और शवदाहगृहों का विकास कर उनकी गंदगी को गंगा में मिलने से रोकने के इंतज़ाम किए गए हैं। साथ ही जैव विविधता संरक्षण के लिए कई रिसर्च प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं और गंगा ग्राम परियोजना के तहत गांवों में स्वच्छता जागरूकता के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
आर्थिक नज़रिये से क्या होगा बदलाव
अब जब एनएमसीजी को कर मुक्त संस्था का दर्जा मिल गया है, तो उसके द्वारा प्राप्त होने वाली अनुदान राशि, दान और अन्य स्रोतों से होने वाली आमदनी पर कोई आयकर नहीं देना होगा। यह कदम संस्थान को वित्तीय रूप से और सशक्त बनाएगा, जिससे वह गंगा सफाई से जुड़ी परियोजनाओं में अधिक निवेश कर सकेगा। इससे निजी क्षेत्र और CSR फंडिंग को भी प्रोत्साहन मिल सकता है, क्योंकि वे अब टैक्स-फ्री दान कर सकेंगे।
विशेषज्ञों की राय : गंगा सफाई कार्यक्रम को मिलेगी आर्थिक मजबूती
पर्यावरण और वित्तीय मामलों के जानकारों के अनुसार, यह फैसला सरकार की गंगा पुनरुद्धार योजना को न केवल आर्थिक मजबूती देगा, बल्कि इससे गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के इस प्रोजेक्ट में निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकार के इस फैसले से इस कार्यक्रम के लिए दीर्घकालिक वित्तीय योजना बनाना भी आसान होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार का यह निर्णय एनएमसीजी को वित्तीय आत्मनिर्भरता प्रदान करने के साथ ही इसकी कार्यक्षमता और दीर्घकालिक प्रभावशीलता को बढ़ाएगा और इस कार्यक्रम को एक नई गति देगा।