पंचायत समिति दाँतारामगढ़ की भूजल स्थिति

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पंचायत समिति, दाँतारामगढ़ (जिला सीकर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा सीकर जिले में 3956 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 3140 मिलियन घनमीटर रह गई है।

भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।

दाँतारामगढ़ पंचायत समिति में वर्ष 1984 में भूमि में उपलब्ध पानी का प्रतिवर्ष 88 प्रतिशत ही उपयोग करते थे लेकिन अब 148 प्रतिशत दोहन कर रहे हैं अर्थात कुल वार्षिक पुनर्भरण की तुलना में 38 मिलियन घनमीटर भूजल अधिक निकाला जा रहा है।

1984 में औसत 27 मीटर गहराई पर पानी उपलब्ध था जो अब 41 मीटर तक हो गया है।

राजस्थान की भूजल स्थिति

वर्ष

पंचायत

समिति

सुरक्षित

अर्द्धसंवेदनशील

संवेदनशील

अति-दोहित

1984

237

203 (86 प्रतिशत)

10 (04 प्रतिशत)

11 (05 प्रतिशत)

12  (05 प्रतिशत)

1995

237

127 (54 प्रतिशत)

35 (15 प्रतिशत)

14 (06 प्रतिशत)

60 (25 प्रतिशत)

2001

237

49 (21 प्रतिशत)

21 (09 प्रतिशत)

80 (34 प्रतिशत)

86 (36 प्रतिशत)

2008

237

30 (13 प्रतिशत)

08 (03 प्रतिशत)

34 (14 प्रतिशत)

164 (69 प्रतिशत)

चूरू जिले की एक पंचायत समिति तारानगर खारे क्षेत्र में वर्गीकृत है।

सीकर जिले की भूजल स्थिति

पंचायत समिति दाँतारामगढ़ में भूजल स्थिति

भूजल अतिदोहन

घटते भूजल संसाधन एवं अतिदोहन के कारण

भूजल भंडारों के अतिदोहन से दुष्प्रभाव

भूजल गुणवत्ता में गिरावट

जल प्रबंधन निम्न प्रकार से किया जाना चाहिये, क्या इस स्थिति में सुधार हो सकता है?

‘जितना बचाओगे - उतना पाओगे’

घरेलू/व्यक्तिगत स्तर पर

कृषि क्षेत्र स्तर पर

औद्योगिक स्तर पर

सामुदायिक स्तर पर

भूजल सम्बन्धित सामान्य भ्रम

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