अब पता चलेगा कि गंगा-यमुना में कितना पानी
अब पता चलेगा कि गंगा-यमुना में कितना पानी

अब पता चलेगा कि गंगा-यमुना में कितना पानी

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गंगा, यमुना जैसी सदानीरा नदियों के उद्गम स्थल उत्तराखंड में नदियों में वास्तव में कितना प्रवाह है, अब सही मायने में इसका पता चल सकेगा। इसके लिए नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट (एनएचपी) के तहत राज्य में गंगा, यमुना, शारदा व रामगंगा के साथ ही इनकी सहायक नदियों में ऑटोमेटिक वाटर लेवल रिकार्डर (एडब्ल्यूएलआर) लगाए जा रहे हैं। केंद्रीय जल आयोग एडब्ल्यूएलआर के अलावा यहां रेनगेज, स्नोगेज और ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित करने को मंजूरी दे दी है। नदियों के जलीय सिस्टम से संबंधित रीयल टाइम डाटा लेने के मकसद से यह मुहिम एक साल के भीतर आकार ले लेगी।

देशभर में नदियों के जलीय सिस्टम से संबंधित रीयल टाइम डाटा के मद्देनजर केंद्रीय जल आयोग ने बड़ी पहल की है। इसके तहत मुख्य नदियों और उनकी सहायक नदियों में ऑटोमेटिक वाटर लेवल रिकार्डर लगाने के साथ ही अन्य कदम उठाए जा रहे हैं। इस कड़ी में एनएचपी के तहत उत्तराखंड की नदियों को भी शामिल किया गया है।

राज्य में सिंचाई विभाग को इस प्रोजेक्ट का जिम्मा सौंपा गया है। विभाग के अधीक्षण अभियंता शंकर कुमार साहा बताते हैं कि प्रोजेक्ट के तहत गंगा, यमुना, शारदा व रामगंगा नदियों के साथ ही इनकी सहायक नदियों में 59 ऑटोमेटिक वाटर लेवल रिकार्डर, 44 ऑटोमेटिक रेनगेज, पांच स्नोगेज, 11 मैनुअल रेनगेज और एक ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित करने को मंजूरी मिली है। उपकरणों की स्थापना को अब तक 115 स्थल चिह्नित किए गए हैं। फरवरी में टेंडर होंगे और फिर अपै्रल में स्थापना का कार्य शुरू होगा। सालभर में यह सिस्टम स्थापित कर दिया जाएगा।

विकसित होगा अर्ली वार्निंग सिस्टम

नदियों में इन उपकरणों के स्थापित होने पर इनसे डाटा सीधे दिल्ली में मॉनीटर किया जाएगा। असल में सेटेलाइट के जरिये ये उपकरण सीधे दिल्ली में जल आयोग से जुड़े होंगे। फिर आयोग यह डाटा राज्य को भेजेगा। डाटा मिलने पर ये पता चल सकेगा कि कहां और किस नदी में कितना प्रवाह है। बारिश, बर्फबारी के आंकड़े मिलने पर निचले क्षेत्रों में यह भी बताया जा सकेगा कि वहां कितना प्रवाह रह सकता है। यह एक प्रकार का अर्ली वार्निंग सिस्टम होगा। आंकड़े उपलब्ध रहने पर भविष्य में नदियों में जलस्तर बढ़ाने के मद्देनजर जलसमेट क्षेत्रों में कदम भी उठाए जा सकेंगे।

गगा बेसिन को पहली प्राथमिकता

सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता पीसी गौड़ के अनुसार एनएचपी प्रोजेक्ट में गंगा बेसिन को पहली प्राथमिकता दी गई है। फिर यमुना, शारदा, रामगंगा बेसिन में उपकरण स्थापित किए जाएंगे।

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