अवैध चमड़ा उद्योग से नारकीय होता जीवन
अवैध चमड़ा उद्योग से नारकीय होता जीवन

अवैध चमड़ा उद्योग से जल एवं वायु जनित रोग

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दिल्ली बाईपास पर स्थित गांव शोभापुर के लोगों का बिमारियों के कारण बुरा हाल है। 4300 की आबादी वाले इस गांव के लोग चंद लोगों के कारण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हो रहे हैं। गांव में 20-25 मालिक लोगों के इस व्यवसाय के जुड़े होने के कारण पूरे गांव की आबादी झेल रही है। वर्तमान में इस व्यवसाय में 150-200 मजदूर भी संलग्न है। भारत उदय एजूकेशन सोसाइटी के निदेशक संजीव कुमार के नेतृत्व में फिल्ड वर्क के दौरान चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के मास्टर ऑफ सोशल वर्क के छात्रों ने इस गांव में सर्वेक्षण किया। जिसमें पाया गया कि गांव में अधिकांशतः लोग पीलिया, सांस से संबंधित रोगों, किडनी व त्वचा से संबंधित रोगों से पीड़ित हैं।

इन सबका प्रभाव सबसे अधिक नवजात शिशुओं पर पड़ता है। जल में कीड़े व भंयकर बदबू लोगों को नाक पर रूमाल रखने को बाध्य कर देती है। चमड़े शोधन के दौरान इस दूषित जल को नालियों में छोड़ दिया जाता है। जिससे वह नालियों में बहते हुए खेतों, गड्ढों व खाली प्लाटों में भर जाता है। खेत में जाने से यह जल भूमि को भी बंजर बना रहा है। रिस-रिस कर यह दूषित लाल रंग का पानी भूमि के नीचे चला जाता है। जिसके कारण नलों का पानी भी दूषित हो जाता है।

चमड़ा उद्योग से लोगों का जीना दूभर

पी0 एच0- 8, घुलित ऑक्सीजन 8
पी0पी0एम0, टर्बिडिटी- 100 जे टी यू,
जल का तापमान 22 डिग्री सेंटीग्रेट।

चमड़ा उद्योग हवा में भी जहर घोल रहा है

चमड़ा शोधन का पानी भूजल को भी जहरीला करता है

चमड़ा शोधन का पानी हवा और भूजल दोनों को जहरीला कर रहा है

चमड़े को शोधित किया हुआ पानी शोभापुर गांव के कृषि भूमि को बंजर कर रहा है

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