बीस तालाब हैं और तालाब चाहिए महंतपुर को

Published on
2 min read

दमोह। दमोह जिले के दमोह ब्लॉक में कुल 100 के करीब तालाब बने हैं। दमोह ब्लॉक के महंतपुर गांव में कुल बीस तालाब बने हैं। कुछ किसानों ने अपने निजी तालाब बनाए हैं तो कुछ ने ‘बलराम तालाब योजना’ का लाभ लेकर भी तालाब बनाए हैं। मजेदार बात यह है कि कुछ तालाब तो गांव से होकर जा रही राजमार्ग के लिए ली गई मिट्टी के कारण भी बने हैं।

लगभग माह भर पहले ही बारिश बंद हुई है, पर तालाब 4-5 फीट तक खाली हो चुके हैं। कारण पूछने पर किसानों ने बताया कि 5-7 फीट मिट्टी के बाद 3-4 फीट मोरंग की एक परत है जिसकी वजह से मिट्टी में ‘सीपेज’ दर काफी ज्यादा है। 15-18 फीट के गहरे तालाबों में भी जनवरी के बाद पानी नहीं रह जाता। बावजूद इसके किसान तालाब बनाना चाहते हैं।

महंतपुर गांव के लोग सार्वजनिक तालाब पूछने पर कहते हैं कि सिर्फ एक तालाब है लगभग दो एकड़ का और वहां सिर्फ गांव के घरेलू निस्तार का पानी इकट्ठा होता है। इससे गांव के हर खेत तक पानी की समस्या तो नहीं हल होने वाली।

महंतपुर गांव में निजी तालाब बनाने वाले किसानों में श्री संतोष नायक, रामप्रसाद पटेल, मोहन पटेल, जगदीश यादव, ओंकार पटेल, लक्ष्मी अग्रवाल, मुकेश पटेल और मस्तराम पटेल हैं।

गांव में ‘बलराम तालाब योजना’ का लाभ लेकर तालाब बनाने वाले किसानों में प्रमोद पटेल, विजय पटेल, मनोज पटेल, शीतल प्रसाद पटेल, हरप्रसाद पटेल और मुन्ना लाल डबोलिया हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग के कारण बनने वाले तालाब इन किसानों के हैं। श्री देवकीनंदन, भरत पटेल, गुलाब पटेल, राजकुमार पटेल, माखन लाल पटेल, महेश पटेल और रघुनंदन पटेल।

हीरालाल पटेल

धीरे-धीरे किसान तालाब की संचयन क्षमता बढ़ाने के लिए हर वर्ष गहरा करता रहता है। जिससे तालाबों की पानी भंडारण क्षमता लगातार बढ़ती रहे।

महंतपुर गांव में तालाब बनाने वाले और किसान तैयार हैं। किसानों से बात करने पर तालाब बनाने में लागत का सवाल काफी प्रमुखता से उठा। साथ ही तालाब बनाने में एक बड़ी समस्या यह पता चली कि तालाब कहां बने इसका पर्याप्त ध्यान नहीं रखा जाता।

हीरालाल पटेल कहते हैं कि हम लोग गांव को पूरी तरह से पानी के मामले में स्वावलंबी बनाने की कोशिश करेंगे।

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org