भीमकुंड: जहां भीम ने कीचक का वध कर स्नान किया था

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महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में बसा अमरावती जिला जहां अपने प्राकृतिक व नैसर्गिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है वहीं यहां कई पौराणिक स्थल भी हैं जो महाभारत काल के हैं। सतपुड़ा पर्वत शृंखला से घिरी इन सुरम्य पहाडिय़ों के मध्य कभी विराट नगर था जहां नदियों व वनों से आच्छादित क्षेत्र थे। आजकल यह क्षेत्र परतवाड़ा जिला कहलाता है। यहीं पर चिखलदरा नामक वन क्षेत्र है। पहाडिय़ों से घिरे इस क्षेत्र में एक दक्षिण मार्ग की ओर रास्ता जाता है जो विशाल खड्ड के रूप में ‘भीमकुंड’ के नाम से जाना जाता है। यह अत्यन्त ही दर्शनीय स्थल है। यहां से तीन कि.मी. दूर गाविलगढ़ किला है जो कि पूर्णतया खंडहर है।

पौराणिक स्थल भीमकुंड पहाड़ों के मध्य स्थित है जो कि 3500 फुट गहरा है। इस गर्त में लाल रंग का पानी विद्यमान है जिसके बारे में कहा जाता है कि जब पांडव अज्ञातवास झेलते हुए विराट नगर पहुंचे तो वे राजा विराट के यहां विभिन्न रूप धारण कर नौकरों के रूप में कार्य करने लगे। पांचों पांडवों के साथ उनकी पत्नी द्रौपदी भी गई थी जो कि शृंगार करने का काम करती थी।

राजा विराट की रानी सुदेष्णा ने द्रौपदी के कार्य की सराहना करते हुए उसे अपने यहां रख लिया। पांडवों के दिन यहां सानंद बीतने लगे और राजा विराट भी उनका बराबर आदर-सम्मान करने लगे। उधर द्रौपदी का समय कष्ट से बीतता था चूंकि रानी का भाई कीचक प्राय: द्रौपदी को सताया करता था। एक दिन कीचक ने द्रौपदी के साथ ऐसा अनुचित व्यवहार किया कि उसने विवश होकर क्रोध से कीचक को महल में धक्का देकर फर्श पर गिरा दिया और भागती हुई राजसभा में जा पहुंची जहां सबके सामने कीचक ने द्रौपदी के बाल पकड़कर उसे लातों से मारकर गिरा दिया व वहां से भाग गया। उस समय भीम व युधिष्ठिर भी वहीं थे। लेकिन राजा विराट भी कीचक से डरते थे, अत: उन्होंने द्रौपदी से कहा- सैरिन्ध्री! तुम घर जाओ, मैं यथासमय इस घटना पर विचार करूंगा। यह सुन द्रौपदी रानी सुदेष्णा के पास रोती हुई चली गई।

जब आधी रात में द्रौपदी भीम के शयनकक्ष में गई और गुस्से में उन्हें जगाकर कहा- तुम सब राजसभा में देख रहे थे, तब भीम ने द्रौपदी को विश्वास दिलाते हुए कहा कि तुम कीचक से कहो कि वह तुम्हें रात में नृत्यशाला में मिले, मैं वहां छिपकर बैठूंगा और कीचक का काम तमाम कर दूंगा।

कीचक जब द्रौपदी का यह प्रणय निवेदन स्वीकार कर रात्रि में पूर्ण शृंगार के साथ नृत्यशाला में आया तो उसने चादर ओढ़े भीम का हाथ पकड़ लिया। मौका पाते ही भीम ने कीचक के बाल पकड़ लात-घूसों से मार-मारकर उसके हाथ-पैर तोड़कर पेट में घुसेड़ दिये। बाद में भीम ने खून से सने अपने शरीर को पहाड़ों के मध्य पानी के विशाल कुंड में धोया तभी उसका पानी लाल रंग का है।

भीमकुंड के पास दक्षिण दिशा की ओर कई गहरे खड्ड हैं जो कि 155 फुट से लेकर 1500 फुट तक गहरे हैं। यहां के घनघोर जंगलों में बाघ भी रहते हैं। इस रमणीय व शांत क्षेत्र को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। ऊबड़-खाबड़ व पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से बहुत ही सावधानी बरतनी पड़ती है। चिकलदरा क्षेत्र से 10 कि.मी. की दूरी पर वैराट गांव है, जहां पर पर्यटक सूर्यास्त का नजारा देखते नज़र आते हैं।
 

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