भूमि-जल संवर्धन पुरस्कार और राष्ट्रीय जल पुरस्कार

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1. सरकार ने भूजल संसाधन के संवर्धन को बढ़ावा देने

2. पुरस्कार वर्षा जल संचयन एवं कृत्रिम पुनर्भरण

3. पुरस्कारों की श्रेणियां:

a)

लक्षित क्षेत्रों में जनता की भागीदारी से वर्षा जल संचयन एवं कृत्रिम पुनर्भरण के माध्यम से भूजल संवर्धन की नूतन पद्धतियां अपनाने हेतु गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), ग्राम पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों (1 लाख तक जनसंख्या वाले) के लिए।

b)

जल उपयोग दक्षता एवं तकनीकी प्रभावकारिता और लोगों द्वारा इसकी स्वीकार्यता को बढ़ावा देने में किसान सहभागिता कार्रवाई अनुसंधान कार्यक्रम का कार्यान्वयन करने वाले संस्थाओं के लिए।

c)

निगमित क्षेत्र के लिए- जागरुकता, वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने, पुनर्चक्रण एवं पुनःउपयोग के माध्यम से जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण एवं जल गुणवत्ता में सुधार करने हेतु उपाय करने के लिए।

d)

वर्षा जल संचयन के लिए नई तकनीकें विकसित करने और लगभग सभी जल संबंधी मुद्दों के संबंध में जागरुकता पैदा करने में कार्यरत और भूजल के पुनर्भरण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन, सर्वश्रेष्ठ पद्धतियां विकसित/कार्यान्वित करने में सफलता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों/संस्थाओं के लिए।

e)

उपरोक्त 21 विजेताओं में से एक को राष्ट्रीय पुरस्कार।

4. पुरस्कारों का संगठन एवं प्रशस्तिः

a)

राष्ट्रीय भूमि जल संवर्धन पुरस्कार में 10 लाख रूपये का नकद पुरस्कार और प्रशस्ति-पत्र के साथ एक फलक दिया जाएगा। राष्ट्रीय जल पुरस्कार सभी 6 क्षेत्रों के पुरस्कार विजेताओं में से जल-संरक्षण, पुनर्चक्रण एवं पुनरुपयोग, जल उपयोग, दक्षता, वर्षा जल संचयन एवं कृत्रिम पुनर्भरण के माध्यम से भूजल संवर्धन की सर्वश्रेष्ठ नूतन पद्धति के लिए दिया जाएगा।

b)

प्रत्येक भूमि-जल संवर्धन पुरस्कार में 1 लाख रूपये का नकद पुरस्कार और प्रशस्ति-पत्र के साथ एक फलक दिया जाएगा। ऐसे कुल 18 पुरस्कार होंगे।

c)

इसके अतिरिक्त तीन पुरस्कार होंगे, किसान सहभागिता कार्रवाई अनुसंधान कार्यक्रम कार्यान्वित करने वाली संस्थाओं, निगमित क्षेत्र और व्यक्तियों/संस्थाओं, प्रत्येक के लिए एक पुरस्कार। इनमें भी 1 लाख रूपये का नकद पुरस्कार और प्रशस्ति-पत्र के साथ एक फलक दिया जाएगा।

5.पात्रता मानदंडः

a)

व्यक्ति, गैर-सरकारी संगठन, उद्योग, संस्था आदि के कार्य का क्षेत्र व्यापक रूप से भूजल से संबंधित होना चाहिए।

b)

कृत्रिम पुनर्भरण कार्य, जल उपयोग दक्षता, जल का पुनर्चक्रण एवं पुनरुपयोग और जागरुकता सृजन जो उनके द्वारा शुरू किया गया और जिसके परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष परिणाम सामने आए जैसे भूजल स्तर में वृद्धि, जल गुणवत्ता में सुधार, प्राप्ति में वृद्धि और उन लोगों की संख्या में वृद्धि जिनके लिए जागरुकता सृजित की गई।

c)

पुनर्भरण संरचनाओं, जल उपयोग दक्षता, प्रयासों, जल के पुनर्चक्रण और पुनरुपयोग के डिजाइन ठोस वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर इष्टतम दक्षता स्तर पर प्रचालन के लिए बनाए जाने चाहिए।

d)

पद्धति का सफल कार्यान्वयन और इसका अनुकरण।

e)

पुरुषों एवं महिलाओं की भागीदारी सहित सामुदायिक सहभागिता एवं जागरुकता क्रियाकलाप का एक अनिवार्य भाग होना चाहिए।

f)

नवाचार एवं सृजनशीलता।

6. पुरस्कारों के लिए आवेदन भेजने की प्रक्रियाः

a)

पात्र गैर-सरकारी संगठन/ग्राम पंचायत/शहरी स्थानीय निकाय /संस्थाएं/निगमित क्षेत्र/व्यक्ति अपने आवेदनों को संबंधित ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ)/जिला पंचायत के संबंधित मुख्य कार्यकारी अधिकारी के माध्यम से संबंधित जिला मजिस्ट्रेट/कलेक्टर को प्रस्तुत करेंगे।

b)

जिला मजिस्ट्रेट/कलेक्टर अपनी सिफारिशों के साथ आवेदनों को राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र के संबंधित नोडल विभाग अर्थात जल संसाधन, भूजल, सिंचाई विभाग इत्यादि को भेजेगा।

c)

ऐसे आवेदनों की तकनीकी जांच एक राज्य स्तरीय समिति द्वारा की जाएगी जिसमें राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र के संबंधित नोडल विभाग, कृषि विभाग तथा केंद्रीय भूमि जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के संबंधित क्षेत्रीय निदेशक के रूप में तीन सदस्य होंगे। यह समिति, तकनीकी जांच के पश्चात प्रत्येक श्रेणी अर्थात एनजीओ/ग्राम पंचायत/शहरी स्थानीय निकाय में से तीन सर्वश्रेष्ठ आवेदनों और संस्थाओं/निगमित क्षेत्र/व्यक्तियों के लिए एक सर्वश्रेष्ठ आवेदन को छांटेगी।

d)

संबंधित राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र का नोडल विभाग, राज्य स्तरीय समिति की सिफारिशों सहित छांटे गए आवेदनों को जल संसाधन मंत्रालय, नई दिल्ली की चयन समिति के सचिव को भेजेगा।

7. पुरस्कारों के मूल्यांकन एवं चयन के मानदंडः

a)

उत्तरी क्षेत्र-जम्मू व कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और चंडीगढ़।

b)

पूर्वी क्षेत्र- बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड और अण्डमान व निकोबार द्वीपसमूह।

c)

दक्षिणी क्षेत्र- आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा, पांडिचेरी और लक्षद्वीप समूह।

d)

पश्चिमी क्षेत्र- राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, दमन एवं दीव और दादरा और नगर हवेली।

e)

केंद्रीय क्षेत्र- मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़।

f)

पूर्वोत्तर क्षेत्र- अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम।

राज्य स्तरीय समिति तकनीकी जांच के बाद प्रत्येक श्रेणी में अर्थात गैर-सरकारी संगठन/ग्राम पंचायत/शहरी स्थानीय निकाय में तीन सर्वश्रेष्ठ आवेदकों और प्रत्येक राज्य से संस्थाओं/निगमित क्षेत्र/व्यक्तियों के अंतर्गत एक सर्वश्रेष्ठ आवेदक का चयन करेगी। राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों के विभिन्न नोडल विभागों से प्राप्त चयनित आवेदनों की जांच जल संसाधन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर अधिसूचित चयन समिति (निर्णायक मंडल) द्वारा की जाएगी जिसकी अध्यक्षता एक अध्यक्ष और जल संसाधन के क्षेत्र में चार अन्य विशेषज्ञ सदस्यों द्वारा की जाएगी। निदेशक (भूजल), जल संसाधन मंत्रालय, समिति के सचिव के रूप में कार्य करेंगे।

समिति निम्नानुसार आवेदनों का चयन करेगीः

a)

प्रत्येक क्षेत्र के लिए क्रमशः गैर-सरकारी संगठनों, ग्राम पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों, प्रत्येक के लिए एक पुरस्कार। इस प्रकार प्रत्येक क्षेत्र के लिए तीन पुरस्कार होंगे (18 पुरस्कार)।

b)

(i) किसान सहभागिता कार्रवाई अनुसंधान कार्यक्रम का कार्यान्वयन करने वाली संस्थाओं (ii) निगमित क्षेत्र (iii) पूरे देश से व्यक्तियों, प्रत्येक के लिए एक पुरस्कार (3 पुरस्कार)।

c)

राष्ट्रीय जल पुरस्कार जल संरक्षण, जल के पुनर्चक्रण एवं पुनःउपयोग, जल उपयोग दक्षता, वर्षा जल संचयन एवं कृत्रिम पुनर्भरण के माध्य से भूजल संवर्धन की सर्वश्रेष्ठ नूतन पद्धति के लिए 21 पुरस्कार विजेताओं में से एक को दिया जाएगा।

जल संसाधन के स्थायित्व में योगदान, नूतन तकनीकें शुरू करना, अनुकरण की संभावनाएं, आर्थिक व्यवहार्यता और जागरुकता सृजन आदि पुरस्कार विजेताओं के चयन के लिए प्रमुख मानदंड होंगे। इस संबंध में चयन समिति का निर्णय अंतिम होगा। यदि पात्र आवेदन उपलब्ध ना हों तो समिति ऊपर बिंदु 1 एवं 2 में दी गई श्रेणियों में से किसी को भी पुरस्कार न देने का निर्णय ले सकती है।

8. पुरस्कार प्रत्येक वर्ष एक औपचारिक समारोह में दिए जाएंगे।

(राजीव कुमार)

निदेशक (भूजल)

जल संसाधन मंत्रालय, नई दिल्ली

नई दिल्ली, 17 फरवरी,2011।

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