गांधीग्राम के जल प्रबंधक

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पानी का बंटवारा और वो भी भारत के जल संकटग्रस्त क्षेत्र में- एक विफोस्टक मुद्दा है, जिससे खेत युद्ध का मैदान बन जाता है। परन्तु गुजरात के कच्छ जिले के सूखे प्रांत में स्थित गांधी ग्राम के लोगों ने पानी वितरण समिति (पाविस) के जरिए इसका समाधान तलाश लिया है। इस सफलता के पीछे क्या फार्मूला है? पानी का सख्ती से समयबद्ध वितरण, जिसका साफ तौर से प्रभाव दिखाई पड़ता है। जबकि सन् 2002-2003 में पूरा कच्छ जिला भीषण सूखे की चपेट में था, वहीं गांधीग्राम ने उसी वर्ष 20 लाख रुपए की मूंगफली की पैदावार की।

पाविस प्रतिवर्ष कुल प्राप्त वर्षाजल के आधार पर खरीफ और रवी दोनों तरह की फसल के लिए एक खाका खींचती है। यह किसानों द्वारा उगाए जाने वाले फसलों और प्रत्येक किसान को आवंटित होने वाले क्षेत्र की घोषणा करती है। इसका निर्धारण पानी की आवश्यक मात्रा और गांव की जल आपूर्ति क्षमता के आधार पर किया जाता है। इस प्रकार यह समिति यह सुनिश्चित करती है कि सूखे वर्षों में ज्यादा पानी का उपयोग करने वाली फसलों को टाला जाए।

सभी किसान इस व्यवस्था को स्वीकारते हैं। इसके वितरण की प्रक्रिया पूरी तरह से समानता पर आधारित है। यद्यपि यह समिति प्राप्त पानी के बदले भुगतान के मामले में काफी सख्ती दिखाती है। इस पैसे का उपयोग पानी के बुनियादी ढांचों की देखरेख में होता है। “सन् 2002 के वर्षाऋतु के मौसम में हमने देखा कि गांववालों द्वारा निर्मित एक लोकशक्ति नामक बंधा से पानी रिस रहा है। ऐसे में हम सभी ने मिलकर इसे बंद किया।“ यहां के एक किसान नारायण भाई कर्षन भाई चौधरी ने हमें बताया।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें : अरविन्द भाई धानजीभाई, सदस्य, पानी वितरण समिति गांव-गांधीग्राम, तालुका-मांडवी जिला कच्छ, गुजरात फोन: 02834- 285531

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