गंगा नदी में ओसीएमएस लगाने में हो रही देरी

Published on
2 min read

गंगा नदी पर प्रदूषणकारी उद्योगों की ओर से प्रवाहित कचरे पर उसी समय निगरानी करने वाली प्रणाली (ओसीएमएस) अभी तक नहीं लगाई गई है। इस प्रणाली को लागू करने में क्यों देरी की जा रही है, यह किसी को समझ में नहीं आ रही है। बहरहाल, केन्द्रीय जल संसाधन मन्त्रालय ने ओसीएमएस लगाने की समय-सीमा और नहीं बढ़ाने का अनुरोध किया है।

पहले यह समय सीमा 31 मार्च तक थी। लेकिन बाद में इस समय सीमा को तीन महीने बढ़ा कर 30 जून कर दी गई थी। अब जब 30 जून की तारीख निकट आ रही है तो केन्द्रीय जल संसाधन मन्त्रालय को चिन्ता सताने लगी है कि कहीं यह समय सीमा फिर से न बढ़ा दी जाए।

जल संसाधन मन्त्रालय ने मंगलवार को केन्द्रीय पर्यावरण मन्त्री प्रकाश जावड़ेकर से अनुरोध किया कि गंगा नदी घाटी के क्षेत्र में प्रदूषणकारी उद्योगों द्वारा प्रवाहित कचरे पर उसी समय निगरानी करने वाली प्रणाली लगाने की 30 जून की समय सीमा को बढ़ाया नहीं जाए। केन्द्रीय पर्यावरण मन्त्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखे पत्र में केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुत्थान मन्त्रालय ने कहा कि औद्योगिक प्रदूषण के गम्भीर स्तर के चलते गंगा पर ‘आॅनलाइन सतत निगरानी प्रणाली’ (ओसीएमएस) लगाने की समयसीमा अब और नहीं बढ़ाई जानी चाहिए।

केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने गंगा नदी घाटी क्षेत्र में आने वाले राज्य प्रदूषण नियन्त्रण बोर्डों (एसपीसीबी) को फरवरी 2014 में दिशानिर्देश जारी किये थे कि पूरी तरह प्रदूषित कचरा प्रवाहित करने वाले उद्योगों (जीपीआई) और 17 अन्य श्रेणी के उद्योगों को इस साल 31 मार्च तक ओसीएमएस लगाने का निर्देश दिया जाए। बाद में समयसीमा तीन महीने और बढ़ाकर 30 जून कर दी गई।

सीपीसीबी ने ऐसे 764 जीपीआई को चिन्हित किया था, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 501 एमएलडी औद्योगिक कचरा नालों में प्रवाहित कर रहे हैं, जो गंगा और उसकी सहायक नदियों में पहुँच रहा है। इन उद्योगों में से 687 उत्तर प्रदेश में और 42 उत्तराखण्ड में हैं। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अनुसार उत्तर प्रदेश में 687 जीपीआई 269 एमएलडी प्रदूषित पानी प्रवाहित कर रहे हैं। इन उद्योगों में चीनी, कागज और रसायन उद्योग प्रमुख हैं।

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org