जिन्दगी से जंग लड़ रहे हैं कटाव पीड़ित

Published on

हिन्दुस्तान पश्चिमी चम्पारण, 23 अप्रैल 2019

गंडक नदी के कहर से विस्थपित हुए सैकड़ों परिवारों की जिन्दगी बांधों पर कट रही है। वर्ष 2003 में गंडक ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया था। उफान मारती नदी ने चंद दिनों में सैकड़ों घरों को निगल लिया, जिसके बाद वे आज भी पुनर्वास के लिए वाट जोह रहे हैं। .

उनके खेत नदी में समा गए। जीवन यापन के लिए मजदूरी ही सहारा है। शिक्षा व स्वास्थ्य की बात करना भी यहां बेमानी है।घोड़हिया पीडी रिंग बांध पर कटाव पीड़ित फूस की झोपड़ी बनाकर जीवन बसर कर रहे हैं।बांध पर शरण लिये प्रेम राय, प्रमोद राय, भिखी पटेल, अनरुद्ध राय, उमाशंकर प्रसाद आदि ने बताया कि सरकार बदल गइल, व्यवस्था भी बदल गइल मगर हमनी के दसा ना बदलल। मिन्टु राय ने बताया कि कटाव पीड़ित परिवारों की बचपन इसी बांध पर कट रहा है। वर्ष 2003 में बाढ़ व कटाव ने जहां आलपाहां, राजघाट गोबरही व गंभीरपुर बेचिरागी हो गया। .

बीच के वर्षो गंडक केस्थायी निदान के लिए कई बार आश्वासन दिया गया। कटाव एवं बांध पर राजनीतिक रोटियां सेकी गयी। परंतु गंडक नदी की कहर पर लगाम लगाने के लिए किसी तरह का ठोस पहल अभी तक नहीं किया गया। बांध सुरक्षा के नाम पर डेढ़ दशक में अरबों रूपया खर्चकिया गया। परंतु स्थिति जस की तस बनी है। .

गंडक के कहर से आस पास के कई गांव के सैकड़ों एकड़ जमीन रेत बन गई है। जुगलाल प्रसाद ने बताया कि गंडक की कहर से बीच के वर्षों में कई खेत रेत में बदल गया है। जिससे एक ओर जहां रहने को घर भी नहीं है। वहीं दूसरी ओर पेट भरने के लिए उपज देने वाली खेत भी अब बालू दे रही है। इस विषम परिस्थिति में हम कटाव पीड़ितों के लिए जिन्दगी एक जंग बन गया है। .

गंडक के कहर से विस्थातिप हुए परिवारों को बसाने के लिए सरकार ने जमीन के लिए पर्चा तो दिया पर उस पर्चे वाली जमीन पर कटाव पीड़ितों को बसाया नहीं जा सका। 2010 में सरकार के आदेश पर 464 कटाव पीड़ितों को उदयपुर जंगल से सटे बघम्बरपुर असमान से सटे वाली जमीन का पर्चा प्रशासन ने दिया था। जब उस जमीन पर कटाव पीड़ित बसने के लिए गए तो वहां के ग्रामीणों का आक्रोश कटाव पीड़ितों पर फूट पड़ा। जिसके बाद भूअर्जन करके इन पीड़ितों को बसाने की प्रक्रिया शुरु हुई। जो अभी तक ठंडे बस्तें में पड़ा हुआ है। हलांकि सीओ अनिल कुमार ने बताया कि फुलिखाड़ में जमीन चिन्हित की गयी है। चुनाव के बाद उसपर भूमिहीन एवं कटाव पीड़ितों को बसाने की प्रक्रिया शुरु कर दी जाएगी। .

India Water Portal Hindi
hindi.indiawaterportal.org