जल संकट: मुंबई के पास बचा है सिर्फ 42 दिनों का पानी
महाराष्ट्र एक तरफ जानलेवा कोरोना वायरस की सबसे ज्यादा मार झेल रहा है। दूसरी ओर मुंबई में अब जल संकट भी पैदा हो गया है। मुंबई को पीने के पानी की सप्लाई करने वाले सात झीलों और बांधों में अब सिर्फ 42 दिनों का पानी बचा रह गया है। मॉनसून के पहले महीने में ही अपेक्षाकृत कम बारिश होने के कारण झीलों का पानी बढ़ा नहीं है। ऐसे में साफ है कि आने वाले दिनों में पानी की किल्लत होगी।
हालांकि, बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल इससे चिंता की कोई बात नहीं है। लोगों को पैनिक नहीं करना चाहिए। BMC के अधिकारियों ने कहा कि मौसम विभाग ने इस बार मॉनसून की अच्छी बारिश का पूर्वानुमान किया है। बारिश होने पर झीलों में पानी का लेवल भी बढ़ जाएगा।
वर्तमान समय में मुंबई में पानी की का स्टॉक कुल स्टॉक का सिर्फ 10.68% है. रविवार तक सभी सात झीलों में उपयोगी जल भंडार 1.54 लाख लीटर है, जबकि कुल स्टोरेज क्षमता 14.47 लाख लीटर है। पिछले साल सातों झीलों- ऊपरी वैतरणा, मध्य वैतरणा, मोदक सागर, तानसा, भटसा, विहार और तुलसी में सामूहिक रूप से एक ही समय के दौरान 82,829 लीटर पानी (5.72%) था। हालांकि, नवंबर 2018 की तुलना में इस साल पानी का स्टॉक 13.09% से कम है। साल 2018 में बीएमसी ने पूरे मुंबई में 10% पानी की कटौती की थी। फिलहाल बीएमसी ने पानी की कटौती की कोई फैसला नहीं लिया है। अच्छी बारिश होने का इंतजार किया जा रहा है।
वन इंडिया पर छपी खबर के अनुसार अतिरिक्त नगर आयुक्त (हाइड्रोलिक विभाग) पी. वेलरासु ने कहा, 'भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इस साल मुंबई में सामान्य बारिश की भविष्यवाणी की है। अब तक अपर वैतरणा और मध्य वैतरणा और कुछ अन्य बांधों में बारिश पिछले साल की तुलना में बेहतर हुई है। इन बांधों का जल स्तर भी पिछले साल की तुलना में अधिक हो गया है। इसलिए अब पानी की उपलब्धता को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है।'
बता दें कि मुंबई को प्रतिदिन औसतन 4,200 मिलियन लीटर की पानी की जरूरत होती है, लेकिन बीएमसी 3,750 मिलियन लीटर पानी की सप्लाई ही कर पाता है। रविवार को BMC की रिपोर्ट के अनुसार, मोदक सागर में 25% पानी का स्टॉक उपलब्ध है, तानसा में 11.37%, मध्य वैतरणा में 14.23%, भटसा में 9.72%, विहार में 22.27% और तुलसी में उपयोगी जल स्तर का 30.64% है। अपर वैतरणा में कोई उपयोगी जल भंडार नहीं बचा है। ये झीले ठाणे और पालघर जिलों में स्थित हैं, जबकि उनके जलग्रहण क्षेत्र नासिक, ठाणे और पालघर जिलों में हैं।