जल संरक्षण को लेकर 'धार्मिक जलयात्रा'

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जल संरक्षण के संदेश के साथ विख्यात संत ज्ञानेश्वर की पालकी लेकर लगभग एक दर्जन नौकाएं धार्मिक स्थल पंढरपुर तक एक अनूठी जल यात्रा पर रवाना हुई हैं। इस यात्रा को इसकी शुरूआत करने वाले विश्वास येओले ने ‘जल डिंडी’ का नाम दिया है। इस पर्यावरण जागरुकता कार्यक्रम के तहत भगवान विट्ठल के भक्त वरकारी पंथ के लोग हर साल पैदल पंढरपुर जाते हैं। येओले ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए खास मौका है क्योंकि 2002 में पर्यावरणविदों ने जो छोटी सी पहल की थी, उसे अब हर स्तर पर समर्थन मिल रहा है। इसमें निचले क्षेत्रों के कस्बों के लोग भी भागीदारी दे रहे हैं, जो प्रदूषित पानी के असर से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं ।’’

येओले ने इस अभियान में शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के कई छात्रों को भी शामिल किया है। इस 12 दिवसीय वार्षिक जलयात्रा के दौरान स्वयंसेवक जल प्रदूषण का स्तर नापेंगे। अपनी पूरी यात्रा के दौरान ‘जल डिंडी’ कार्यकर्ता नदी के किनारों पर रहने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाएंगे, पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी आधारित फिल्मों का प्रदर्शन और पौधारोपण करेंगे। येओले के मुताबिक, ‘‘खुशी की बात यह है कि इस प्रयास को अब महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग ने भी प्रोत्साहित किया है। विभाग ने इस अभियान को स्कूली छात्रों की किताबों में शामिल किया है।’’

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