जल त्रासदी के मुहाने पर खड़ा देश

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पैसा खर्च कर पानी पीते समय उसकी एक-एक बूँद महत्त्वपूर्ण लगने लगती है, लेकिन फिर यह वैचारिकी तब धूमिल पड़ने लगती है, जब पुन: हमें बड़ी मात्रा में पानी मिलने लगता है। सवाल यह है कि जल संरक्षण के प्रति हम गम्भीर क्यों नहीं हैं। भलाई इसी में है कि हम सब जल की बूँदों को बेवजह बर्बाद करने सम्बन्धी अपनी गतिविधियों को नियंत्रित कर जल संरक्षण के प्रति अपने आस पड़ोस के लोगों को भी जागरूक करें...

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