कहीं संकट का बादल न बन जाए अम्ल वर्षा

कहीं संकट का बादल न बन जाए अम्ल वर्षा

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अम्ल वर्षा हमारे लिए पर्यावरण सम्बन्धी मौजूदा समस्याओं में से एक सबसे बड़ी समस्या है। यह अदृश्य गैसों से निर्मित होती है जो कि आम तौर पर ऑटोमोबाइल या कोयला या जल विद्युत संयंत्रों के कारण वातावरण में बनती हैं। यह अत्यंत विनाशकारी होती है। वैज्ञानिकों ने इसके बारे में सबसे पहले सन 1852 में जाना। एक अंग्रेज वैज्ञानिक रॉबर्ट एग्नस ने अम्ल वर्षा के बारे में सबसे पहले इसे परिभाषित किया और इसके कारण और विशेषताओं की व्याख्या की। तब से अब तक, अम्ल वर्षा वैज्ञानिकों और वैश्विक नीति-निर्माताओं के बीच तीव्र बहस का एक मुद्दा रहा है।

अम्ल वर्षा को ही अंग्रेजी में एसिड रेन कहते हैं। लेकिन इसका सीधा अर्थ यह नहीं लगा लेना चाहिए कि वर्षा जल के स्थान पर अम्ल हीं धरती पर फुहारों के रूप में गिरती है। बल्कि वर्षा में अम्लों जैसे रासायन की मौजूदगी ज्यादा होती है। जैसा कि नाम से ही लग रहा है कि यह किसी प्रकार की वर्षा है जो अम्लीय होगी। गाड़ी, औद्योगिक उत्पादन आदि के प्रक्रिया में निकली जहरीली गैसें (सल्फर-डाई-ऑक्साईड और नाइट्रोजन ऑक्साईड) जो कि ऊपर बारिश के पानी से मिल कर अम्लीय अवस्था में आ जाती हैं। साफ शब्दों में समझें तो वह वर्षा जिसके पानी में यह गैस मिल जाती है अम्ल वर्षा कहलाती है। अम्ल वर्षा हमारे लिए पर्यावरण सम्बन्धी मौजूदा समस्याओं में से एक सबसे बड़ी समस्या है। यह अदृश्य गैसों से निर्मित होती है जो कि आम तौर पर ऑटोमोबाइल या कोयला या जल विद्युत संयंत्रों के कारण वातावरण में बनतीं है। यह अत्यंत विनाशकारी होती है। वैज्ञानिकों ने इसके बारे में सबसे पहले सन 1852 में जाना। एक अंग्रेज वैज्ञानिक रॉबर्ट एग्नस ने अम्ल वर्षा के बारे सबसे पहले इसे परिभाषित किया और इसके कारण और विशेषताओं की व्याख्या की। तब से अब तक, अम्ल वर्षा के वैज्ञानिकों और वैश्विक नीति-निर्माताओं के बीच तीव्र बहस का एक मुद्दा रहा है।

अम्ल वर्षा अति-प्रदूषित इलाके में बड़ी दूर तक बड़ी आसानी से फैलती है। यही वजह है कि यह एक वैश्विक प्रदूषण समस्या है। जिसके लिए विभिन्न देश एक दूसरे पर आक्षेप लगाते हैं। जबकि कोई भी इसके प्रति उतना गंभीर नहीं है जितनी तेजी से यह समस्या बढ़ रही है। पिछले कुछ सालों में विज्ञान ने अम्ल वर्षा के मूलभूत कारणों को जानने की कोशिश कि तो कुछ वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि मानवीय उत्पादन मुख्य रूप से जिम्मेदार है तो वही कुछ वैज्ञानिकों ने इस समस्या का जिम्मेदार प्राकृतिक कारणों को माना। वस्तुत: सभी देशों को अम्ल वर्षा के कारणों और उसके दुष्प्रभावों के प्रति सजग रहना होगा। कारण जो भी हों लेकिन यह तो निश्चित है कि अम्ल वर्षा हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को चौपट करती जा रही है। पर्यावरण समस्या को और गंभीर बनाती यह एक अलग समस्या सामने आ रही है।
 

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