खान नदीः नदी या नाला
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डॉ. विजय पंडित
खान नदी अब नाले में बदल गई है
खान नदी.. या खान नाला.. शहर के लोग लंबे समय से इस सवाल से जूझ रहे हैं। यह नदी प्राकृतिक ही नहीं शहर की सांस्कृतिक विरासत है, जिसके घाट कई ऐतिहासिक, सामाजिक और धार्मिक घटनाओं के साक्षी रहे हैं। इसका पानी लोगों के साथ खेतों की भी प्यास बूझाता था। भूजल स्तर को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका थी लेकिन अब नदी अस्तित्व खो चुकी है। 1985 से इसे पुनर्जीवित करने की घोषणाएं हो रही हैं लेकिन ज्यादातर कागजी साबित हुईं। विशेषज्ञ मानते हैं थोड़े से प्रयास किए जाएं तो खान नदी इंदौर की नर्मदा साबित हो सकती है। जेएनएनयूआरएम में इसे शामिल किए जाने से उम्मीद की नई किरण नजर आ रही है।
इंदौर शहर को अपना पानी पिलाने वाली खान नदी अब जहरीली हो गई है
इंदौर के लोगों को खान नदी को मार कर नर्मदा नदी के पानी को लाने का प्रयत्न किया जा रहा है। यह खान नदी और इंदौर शहर दोनों के लिए खतरनाक है। बिलावली के पीपलियापाला तालाब से निकली खान नदी 50 किमी का सफर तय कर शिप्रा में मिलती है। 25 किमी का हिस्सा शहर के बीच से होकर ही गुजरता है। व्यवस्थित सिवेज प्लान नहीं होने के कारण सालों से शहर भर की गंदगी इसी में डाली जा रही है। नंदलालपुरा निवासी 76 वर्षीय मोहिनीराज जोशी कहते हैं मेरे दादा खान नदी के किनारे रहते थे और आज मेरे पोते भी इसी के साए में बड़े हो रहे हैं। फर्क इतना है कि हम नदी पर गर्व करते थे और उन्हें शर्म आती है।