निरंजना-फल्गु संरक्षण अभियान

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मगध जल जमात के आह्वान पर निरंजना-फल्गु संरक्षण अभियान

बोधगया से विष्णुपद एवं बिथोशरीफ तक

मान्यवर,

बोधगया में निरंजना के नाम से जानी जानेवाली नदी गया और उसके आगे फल्गु नाम से जानी जाती है। बोधगया से बिथोशरीफ तक का क्षेत्र हिन्दू, मुसलमान और बौद्ध तीनों के लिए महत्वपूर्ण है। निरंजना का इलाका तपस्या एवं ज्ञान की भूमि है। फल्गु एवं गया का क्षेत्र पितरों को मुक्ति दिलाने वाला है। इसी तरह बिथोशरीफ सूफी प्रेम एवं सेवा का पवित्र क्षेत्र है। भगवान विष्णु का क्षेत्र तथा बिथोशरीफ के पवित्र क्षेत्र का जल आज कितना प्रदूषित हो चुका है। बोधगया, गया क्षेत्र एवं आस -पास के प्रबुद्ध नागरिकों का कर्तव्य है कि वे इसे रोकें और एक स्वच्छ तथा शुद्ध वातावरण का निर्माण करें।

गया मानपुर तथा बोधगया में सरकारी एवं गैर सरकारी दोनों ही स्तरों पर पेयजल की व्यवस्था भूगर्भ जल से की जाती है। बोधगया से बिथोशरीफ तक शहर की गंदगी फल्गु में गिरती है। फल्गु जितनी बाहर से दिखाई देती हैं, उससे अधिक चौड़ाई में जमीन के भीतर बहती है। अत: गंदे नालों का जल बिना किसी शुद्धिकरण के ही पुन: नल कूपों में पहुंच जाता है। यह चक्र लगातार चलता रहता है। कुछ दिन पहले पानी की जांच की जा चुकी है, उससे यह सिद्ध हो चुका है कि पंचमहला से पंचायती अखाड़ा तक के नलकूपों के जल प्रदूषित हो गए हैं। इसी तरह उसके आगे भी बिथोशरीफ तक पानी प्रदूषित हो गया है। जो लोग नदी किनारे से कुछ दूर के मुहल्लों में रहते हैं, उनका जलस्त्रोत भी प्रदूषित हो जाएगा क्योंकि भीतरी तौर पर पूरे इलाके के जलस्त्रोत आपस में जुड़े हुए हैं। दंडीबाग से दूर के मुहल्लों में भी पानी पाइप लाइन से जाता है।

बोधगया में पहले आबादी कम थी। गंदा पानी सड़क किनारे या खेत में होकर जमीन के भीतर जाता था। इससे गंदगी सीधे फल्गु में नहीं गिरती थी। वर्तमान में तेजी से आधुनिक सुविधाओं वाले आवासोें का निर्माण हो रहा है। इनसे बहुत अधिक मात्रा में गंदा जल खुले या बन्द नालों के माध्यम से फल्गु में गिरेगा। इसका दुष्परिणाम यह होगा कि बोधगया के बाद अमावां, केन्दुई, आदि निकटवर्ती इलाकों का पेयजल अचानक बुरी तरह प्रदूषित हो जाएगा। इसके बाद अभी जो शुद्ध जल ´सेना सेवा कोर` दंडीबाग एवं अन्य पम्पों को मिल रहा है, वह भी पीने लायक नहीं रहेगा। मानपुर एवं नीचे का इलाका भी इस दुष्प्रभाव को झेलने को विवश होगा।

मगध जल जमात के आह्वान पर गया के सभी वर्गो के लोगों ने तालाब संरक्षण का अभियान चलाकर बहुत हद तक भूगर्भीय जल स्तर को अधिक गिरने से बचा लिया है। इस दिशा में हमें जो सफलता मिली है उससे उत्साहित हो कर हमने भविष्य की एक योजना बनाई है। इसके अनुसार बोधगया से बिथोशरीफ तक गंदे नालों के जल को सीधे नदी में नहीं जाने दिया जाना चाहिए। इसे तालाबों एवं शुद्धि करने वाले संयंत्रों के द्वारा पटवन योग्य बनाकर वापस खेतों में पहुंचा दिया जाय तो फल्गु का दुर्लभ पेयजल भी बच जाएगा और किसान भी लाभान्वित होंगें। नदी की पवित्रता भी बनी रहेगी। शुद्धि करने वाले तालाबों के जल को खेत तक पहुंचाने के लिए सौभाग्य से ढाल एवं पइन भी उपलब्ध है।

ऐसा कार्य भारत में पंजाब में 200 कि. मी. के क्षेत्र में एवं बंगाल में कोलकाता नगर निगम के गंदे जल को शुद्ध करने के लिए हो भी चुका है। ये दोनो कार्य गैर सरकारी तौर पर हुए हैं। सरकारी तौर पर भी ऐसा कार्य हो तो स्वागत योग्य है एक व्यक्ति या एक संस्था के लिए इतना बड़ा काम भले ही बहुत भारी लगता हो किन्तु समाज के सभी वर्गो के लिए मिलजुल कर करने पर यह कदापि कठिन नहीं है। इस मुद्दे पर विचार विमर्श एवं सक्रिय नागरिक पहल में आप की सहभागिता जरूरी है।

निवेदक

मगध जल जमात

एम. आई. जी. - 87, पुरानी हाऊसिंग बोर्ड, कालोनी

मो. : 09431476562, 09931596750, 9430442863

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