नर्मदा घाटी में बांध, विस्थापन और विरोध


नर्मदा घाटी में स्थित ओंकारेश्वर बांध में पानी के स्तर को अवैध रूप से 189 मीटर से 193 मीटर बढ़ाए जाने के विरोध में पिछले करीब 15 दिनों से 34 बांध प्रभावित घोघलगांव में जल सत्याग्रह कर रहे हैं। उनकी कमर से ऊपर तक पानी चढ़ चुका है और लगातार पानी में डूबे रहने से शरीर गलना प्रारंभ हो गया हैं। फिर भी वे कमल की मानिंद पानी की सतह पर टिके हुए हैं। लेकिन सरकार व एनएचडीसी जो कि बिजली उत्पादन करने वाली सरकारी कंपनी है और पुनर्वास उसकी ही मूलभूत जिम्मेदारी है, टस से मस नहीं हो रहे हैं। गौरतलब है सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2011 में दिए अपने निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा था कि जमीन के बदले जमीन ही दी जानी चाहिए और इसके पीछे न्यायालय की सोच भी स्पष्ट है कि पुनर्वास, पुनर्वास नीति के अनुरूप ही हो। दुःखद यह है कि खंडवा के कलेक्टर ने भी घोषणा कर दी है कि ओंकारेश्वर एवं इंदिरा सागर बांध से विस्थापित होने वाले लोगों को मुआवजा दे दिया गया है। यह कथन कमोवेश सर्वोच्च न्यायलय की अवमानना के समकक्ष है। इस जल सत्याग्रह ने एक बार पुनः शासन, प्रशासन और उद्योगों की आपसी सांठगांठ का पर्दाफाश कर दिया है।

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