Narmada
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नर्मदा परिक्रमा पथ के लिये अधिकारियों ने झोंकी ताकत

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धार। नर्मदा परिक्रमा पथ के निरीक्षण के लिये कलेक्टर क्षेत्र में पहुँचे। कलेक्टर ने नर्मदा के तटीय इलाकों का दौरा किया। नर्मदा में बाढ़ के दौरान राहत प्रबन्धन की जानकारी भी सम्बन्धित अधिकारियों से ली। सरकार की महत्त्वपूर्ण कवायद के तहत अब ध्यान दिया जा रहा है जबकि नर्मदा पथ को पहले ही तैयार हो जाना चाहिए।

नर्मदा परिक्रमा पथ को विकसित करने के उद्देश्य से कलेक्टर श्रीमन शुक्ला नर्मदा के तटीय क्षेत्र में पहुँचे। क्षेत्र के लसनगाँव, मोरगढ़ी, खलघाट होकर वे धरमपुरी पहुँचे। वे सीधे स्थानीय नगर परिषद कार्यालय पहुँचे। यहाँ उन्होंने नर्मदा में मिलने वाले शहर के गन्दे नालों व शहर के कचरा डालने के स्थान की जानकारी उपयंत्री पंकज शर्मा से ली। साथ ही निर्देश दिये कि शहर का एकत्रित किया कचरा खुज या नर्मदा के किनारों पर न डाला जाये। क्योंकि बारिश व बाढ़ में ये सारा कचरा बहकर नर्मदा में मिल जाता है। ट्रेचिंग ग्राउंड पर ही कचरा डाला जाये, ताकि गन्दगी बहकर नर्मदा में न मिले। नगर परिषद के ट्रेचिंग ग्राउंड पर अतिक्रमण की बात पर एसडीएम सत्येंद्र सिंह को अतिक्रमण मुक्त कराने के निर्देश दिये।

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम हुआ बन्द नगर में लगने वाले प्रदेश के पहले इको वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम गत कई महीनों से बन्द पड़ा हुआ है। गन्दे पानी के नाले के अन्तिम छोर पर लगने वाले इस संयंत्र का काम मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ग्रीन वाटर रिवाल्युशन बोर्ड से करवाया जा रहा था। जिसकी कार्य योजना सृष्टि इको रिसर्च इंस्टीट्यूट (सेरी) पुणे ने बनाई थी। वहीं निर्माण में लगने वाली राशि जेपी ग्रुप द्वारा दी जा रही थी। जिसका बाकायदा एग्रीमेंट भी हुआ था। जिसका कार्य भी प्रारम्भ हो चुका था, किन्तु कुछ दिनों तक काम होने के बाद काम ठप हो गया। जो कई माह से बन्द ही पड़ा हुआ है।

संयंत्र लगने से शहर का गन्दा पानी उपचारित होकर नर्मदा में पहुँचता, किन्तु विभागीय लापरवाही की वजह से नगर को मिली ये सौगात भी अधर में लटक गई। संयंत्र स्थापना स्थल पर वर्तमान में गन्दगी पसरी हुई है व संयंत्र के लिये लाए गए पत्थरों का ढेर लगा हुआ है।
 

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