पानी पर पंजाब में सियासी उबाल
अगले साल पंजाब विधानसभा चुनाव में पहली बार प्रदेश का रुख कर रही आप ने भी एसवाईएल मसले पर दखल की गुहार लगाने के लिये राज्यपाल से मुलाकात का समय माँगा है। पार्टी ने कहा कि वह पटियाला जिले के कपूरी में मोर्चा निकालेगी। यह वही जगह है जहाँ 1982 में दिवंगत प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी ने एसवाईएल नहर की आधारशिला रखी थी। आप ने कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे को नौटंकी करार देते हुए पूछा कि सिर्फ अमरिंदर सिंह के अलावा और किसी कांग्रेसी नेता ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया। सतलुज यमुना सम्पर्क नहर (एसवाईएल) के हरियाणा-पंजाब सम्बन्धी विवाद में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के पंजाब के खिलाफ आये फैसले ने सूबे के राजनीतिक हलके में तूफान ला दिया है। पंजाब में तीन महीने से भी कम समय में होने वाले चुनाव को देखते हुए कोई भी राजनीतिक पार्टी पीछे हटते नहीं दिखना चाहती।
मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने अपना बयान दोहराते हुए कहा कि वह पंजाब से एक भी बूँद पानी बाहर नहीं जाने देंगे। प्रकाश सिंह बादल ने इस फैसले को पंजाब के लिये ‘मौत का फरमान’ बताया और ऐसे संकेत हैं कि उनकी सरकार पड़ोसी राज्यों के साथ जल बँटवारा रोकने के लिये अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है।
अगले साल पंजाब विधानसभा चुनाव में पहली बार प्रदेश का रुख कर रही आप ने भी एसवाईएल मसले पर दखल की गुहार लगाने के लिये राज्यपाल से मुलाकात का समय माँगा है। पार्टी ने कहा कि वह पटियाला जिले के कपूरी में मोर्चा निकालेगी। यह वही जगह है जहाँ 1982 में दिवंगत प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी ने एसवाईएल नहर की आधारशिला रखी थी। आप ने कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे को नौटंकी करार देते हुए पूछा कि सिर्फ अमरिंदर सिंह के अलावा और किसी कांग्रेसी नेता ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया।
वैसे सुप्रीम कोर्ट का गुरुवार को हरियाणा के पक्ष में आया अहम फैसला करीब 12 साल के गतिरोध के बाद आया है। इसमें हरियाणा की जीत हुई है जिसके लिये प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सुप्रीम कोर्ट का आभार जताने में एक पल भी नहीं गँवाया। यहाँ तक कि खट्टर ने तो इस फैसले को प्रदेश के स्वर्ण जयंती वर्ष पर हरियाणा वासियों के लिये सौगात कहा।
दिलचस्प यह है कि फैसले के बाद पंजाब में कांग्रेसी विधायकों ने विरोध स्वरूप पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी की अगुवाई में सामूहिक रूप से इस्तीफे दे दिये जबकि हरियाणा कांग्रेस के आला नेताओं ने इस फैसले पर खुशी जताई है। हरियाणा कांग्रेस से विधायक, एआईसीसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्ववर्ती भूपिंदर सिंह हुड्डा सरकार में काबीना मंत्री रहे रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए उसे हरियाणा वासियों की बड़ी जीत बताया।
उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भी अगले कदम पर विचार करने के लिये मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ अहम बैठक बुलाई। बैठक के बाद सरकार ने कहा कि पंजाब मंत्रिमंडल जल्द ही राष्ट्रपति से मुलाकात करके एसवाईएल नहर पर सुप्रीम कोर्ट की सलाह स्वीकार नहीं करने का अनुरोध करेगा। यहाँ रेडियो पर मुख्यमंत्री की आवाज में प्रसारित हुए सन्देश में कहा जा रहा है, ‘मैं और शिरोमणि अकाली दल एसवाईएल मसले पर कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं पर पंजाब में अब यह नहर कभी नहीं बनने दी जाएगी। इसकी पंजाब में बनाने की न तो जरूरत थी और न होगी।’
बादल के पुत्र व प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने फतेहगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में साफ कहा कि अकाली सरकार के रहते पंजाब से एक भी बूँद पानी बाहर नहीं जाने देंगे, चाहे कुछ हो जाये। एसवाईएल अब किसी भी कीमत पर नहीं बनेगी। एसवाईएल मसला कांग्रेस और दिवंगत प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी की देन है, जिस समय नहर निर्माण का काम शुरू हुआ था उस समय कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसका स्वागत किया था।
सुखबीर ने कहा कि कैप्टन और कांग्रेस विधायक अगर सूबे के प्रति इतने ही ईमानदार और हमदर्द हैं तो उन्हें सबसे पहले कांग्रेस से इस्तीफा देना चाहिए था जो इस समस्या के लिये जिम्मेदार हैं। अगर वे कांग्रेस से इस्तीफा देते हैं तो शिरोमणि अकाली दल इसका स्वागत करेगा। एक अन्य सवाल पर सुखबीर ने कहा कि हम क्यों भागें। इस्तीफे का यह नाटक कांग्रेस पार्टी ने रचा है। उनसे पूछिए कि एक महीने बाद वे ऐसे भी विधायक नहीं रह जाएँगे तो अब यह नाटक क्यों?