लेख
पेड़ों की जंजीर से बाँधें पाँव प्रदूषण के
वृक्ष हमारे लिये अनमोल खजाना हैं। पशु-पक्षियों के लिये सुरक्षित बसेरा और भोजन का ठिकाना भी। इंसानी संवेदना कंक्रीट के जंगलों में लुप्त होती जा रही है तभी पर्यावरण असन्तुलन और प्रदूषण हावी हो रहा है। इसका सर्वाधिक असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ा है। प्रदूषण की समस्या विकराल रूप ले चुकी है और इससे निपटने का एकमात्र माध्यम हैं हरे-भरे वृक्ष।
पर्यावरण प्रदूषण के विकराल रूप से निपटने के लिये उगाने होंगे आबादी के बीच छोटे-छोटे जंगल। इनमें लगानी होंगी पेड़ों की वे विलुप्त होती प्रजातियाँ, जिनका जीवन से है गहरा नाता। मलय बाजपेयी की रिपोर्ट…
काफी है छोटी सी जगह
जंगल उगाकर बनाई पहचान
“जंगल प्रकृति का अनमोल करिश्मा हैं। ये हैं तो मौसम सन्तुलित होगा और पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। करीब 4 से 8 साल लगते हैं एक पौधे को वृक्ष बनने में। बीज, नमी, पानी, सूर्य की रोशनी, घास, पौधे, झाड़ियाँ और पेड़ों के निरन्तर बढ़ने का प्राकृतिक चक्र जंगल का रूप ले लेता है।”
तभी तो जानेंगे नाम
समझें वृक्षों का जीवन चक्र
जरूरी हैं ये वृक्ष
परिवर्तन की शुरुआत
नदी को जिलाएँगे पेड़
ऐसे करनी होगी प्लानिंग
मिलेगा तोहफा पर्यावरण का
-डॉ.वी.के.त्रिपाठीएसोसिएट प्रोफेसर, चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर