पर्यावरण संरक्षण में न्यायपालिका की भूमिका

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अनादिकाल से मानव का पर्यावरण से निकटतम सम्बन्ध रहा है परन्तु मानव ही अब इसके विनाश का कारण बन गया है। यदि हम अपने प्राकृतिक स्रोतों का उपयोग सन्तुलित रूप से करें तो हमारा पर्यावरण निश्चित रूप से सन्तुलित होगा। आज के वैज्ञानिक युग में विकास के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण की समस्या खड़ी हो गई है और अब इसने महामारी का रूप धारण कर लिया है। लेखक ने इस स्थिति के कारणों का विश्लेषण करते हुये इसमें सुधार लाने में न्यायपालिका की भूमिका पर प्रकाश डाला है।

(लेखक पंतनगर (उ.प्र.) के गो.ब.पं. कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।)
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