राज्यों में नहीं बना उपचारित सीवर के जल के प्रयोग का एक्शन प्लान

Published on

उत्तराखंड ने अब तक तमाम शहरों के सीवर नेटवर्क में लगे सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले उपचारित पानी के उपयोग का एक्शन प्लान नहीं बनाया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड, गुजरात, असम, पंजाब, बिहार और उप्र अब तक अपने एक्शन प्लान नहीं जमा किए हैं।

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल -एनजीटी) में आये एक मामले में इसका खुलासा हुआ है। एनजीटी ने उत्तराखंड समेत 18 राज्यों व संघ शासित प्रदेशों को उपचारित जल के उपयोग का एक्शन प्लान पेश करने के निर्देश दिए हैं। ताकि देशभर में भूजल पर दबाव कम किया जा सके और भूजल का दोहन कम किया जा सके।

एक याचिका की सुनवाई करते हुए एनजीटी के अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल ने राज्यों व संघ शासित प्रदेशों से कहा कि वे तीन महीने में केंद्रीय प्रदूषण नियंतण्रबोर्ड को अपना एक्शन प्लान पेश करें। एनजीटी ने कहा कि जिन राज्यों ने अब तक अपने एक्शन प्लान नहीं बनाए हैं। उन्होंने एनजीटी के निर्देशों की अवहेलना की है।

बता दें कि नौ राज्यों और पांच केंद्र शासित प्रदेशों ने अब तक अपने एक्शन प्लान नहीं जमा किए हैं। बता दें कि हरिद्वार, ऋषिकेश, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग और कर्णप्रयाग के सीवरेज का ट्रीटमेंट ही ठीक से नहीं हो पाने की बातें सामने आती रही हैं।

इस योजना में गंगा किनारे जिन 118 नगरों को चयनित किया गया है, उनमें उत्तराखंड के 15 नगर भी हैं। हरिद्वार जैसे धार्मिक शहर के सीवरेज को लेकर ही अभी काम नहीं हो पाया है। एसपीएमजी (सीवेज प्रोग्राम मैनेजमेंट ग्रुप) के तहत अब तक 19 योजनाओं को ही पूरा किया जा सका है, जबकि नमामि गंगे सीवरेज के तहत 13 योजनाओं का काम अभी पूरा होना बाकी है।

इसके अलावा नाबार्ड से चार फेज में 233 पेयजल योजनाओं के लिए 425.86 करोड़ रुपये अवमुक्त हुए, जिसमें से 337.36 करोड़ व्यय हो चुका है। ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए गढ़वाल क्षेत्र के 132 ग्राम पंचायतों के सापेक्ष सिर्फ 41 में ही काम पूरा हो पाया है शेष 81 में कार्य गतिमान है और 11 में अब तक शुरू ही नहीं हो पाया।

India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org