स्वामी यातिश्वरानंद का गंगा को बर्बाद करने में सबसे बड़ा हाथ:-स्वामी शिवानन्द
गंगा नदी में एक बार फिर खनन खोलने के उत्तराखंड सरकार के फैसले पर मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानन्द ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पीएम मोदी ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नई दिल्ली को गंगा में सभी खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के निर्देश के साथ हमें लिखित में 9 अक्टूबर, 2019 को सूचित किया गया था कि हरिद्वार में गंगा में सभी खनन गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी गयी है। उन्होंने कहा 2 सितम्बर, 2020 का भी पत्र है, जिसमें राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन,नई दिल्ली द्वारा पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को लिखित में निर्देश जारी किये गए कि गंगा में खनन पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगे। इसके बाद भी जब इन निर्देशों का पालन नहीं हुआ, तब पुनः मेरे द्वारा तपस्या की गयी, जिसके बाद 1 अप्रैल, 2021 को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नई दिल्ली द्वारा ‘पुरजोर विरोध ('strongly recommend’) किया गया कि गंगाजी में खनन पूर्णतः बंद हो | हमें भी लिखित में भेजा गया कि गंगा में खनन को बंद करवा दिया गया है।
इन सबके बाद भी खनन खोल दिया गया है। इन सब के लिए ज़िम्मेदार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं स्वामी यतिश्वरानंद, जो दोनों एक दुसरे के चट्टे-बट्टे हैं। मुख्यमंत्री बनाने से पूर्व जब वह विधायक थे तब वहा खनन पट्टों को गलत ढंग से खोलने के लिए ओम प्रकाश के पास गए थे तब उन्होनें खनन खोलने की अनुमति नहीं दी थी, इसलिए पुष्कर सिंह धामी ने पदभार संभालते ही उन्हें बदल दिया। डीजीपी अशोक कुमार,जिनका तो हर खनन पट्टे में हिस्सेदारी है, स्टोन क्रेशर में भी हाथ है, ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को पुष्कर सिंह धामी ने अपने करीब रखा है| इतना ही नहीं, रवासन नदी में अभी जो हो रहा है, जिस प्रकार से जल्दबाजी में ‘रिवर ट्रेनिंग’ के नाम पर खनन के आदेश दिए गए, जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में उनके नीचे के अधिकारी से स्वीकृति दिलवाई गयी ये बताता है कि इस खनन के खेल सभी मिले हुए है
स्वामी शिवानन्द आगे कहते है स्वामी यतिश्वरानंद खनन के कुख्यात माफिया हैं और गंगा को बर्बाद करने में सबसे बड़ा हाथ उन्हीं का है, और यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, जो आजकल स्वामी यातिश्वरानंद के साथ ही रहते हैं, ने गंगा में खनन खोलने के आदेश दे डाले। तो अगर सरकार इस तरीके से अपने दिए हुए आश्वासनों से मुकर जाएगी तो हम पहले भी और कुम्भ के दौरान अपना शरीर छोड़ने के लिए तपस्या पर बैठे थे, उस समय भी शरीर छोड़ने देते। यदि अब इस ढंग की नीतियां बनेंगी और हमारा बलिदान मांगा जाएगा तो जिस तरह से किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों ने अपना बलिदान दिया, गंगा के लिए स्वामी निगमानंद एवं स्वामी सानंद का बलिदान हुआ, हम भी इसके लिए हमेशा से तैयार हैं, शांति से भजन करते हुए अपना शरीर त्याग देंगे।
स्वामी शिवानन्द ने कहा 14 दिसम्बर, 2021 से वह दिन में मात्र 4 गिलास जल ग्रहण करेंगे, और धीरे-धीरे जल का भी परित्याग कर देंगे | निगमानंद के आत्मा को शांति देने के लिए और सानंद को दिए गए वचनों को पूरा करने के लिए मैं अपनी तपस्या आरम्भ कर रहा हूँ । मांगे हैं - खनन सम्बंधित सरकार अपने सभी वादों पर तत्काल अमल करे और गंगा में खनन पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगे | स्टोन क्रेशरों को गंगा नदी से कम से कम 5 किमी दूर किया जाये। गंगा नदी एवं उनकी सहायक नदियों पर किसी भी प्रकार की बाँध परियोजना को तत्काल निरस्त किया जाये | इसके अलावा स्वामी यतिश्वरानंद की अवैध संपत्ति की तत्काल जांच हो ।
इसके अलावा मातृ सदन में 23 और 24 दिसम्बर, 2021 को एक सेमिनार का भी आयोजन किया जा रहा है जिसमें देशभर से बुद्धिजीवी एवं पर्यावरण प्रेमी हिस्सा लेंगे। सेमिनार में केंद्र सरकार द्वारा जारी की गयी EIA Draft, 2020 पर मातृ सदन ने जो आपत्तियां उठायीं हैं, उनपर चर्चा होगी | इसके साथ IIT कानपूर द्वारा अभी हाल ही में गंगा में प्रदूषण से सम्बंधित कुछ नयी परियोजनाएं लायीं गयीं है, उनपर भी विस्तार से चर्चा होगी | दूसरे दिन उत्तराखंड सरकार की नई खनन एवं क्रेशर नीतियों में की गयी धांधलेबाजी पर प्रकाश डाला जायेगा।