ताजा पानी के मोती का उत्पादन
मोती उत्पादन क्या है?
उत्पादन का तरीका
i) सीपों को इकट्ठा करना
ii) इस्तेमाल से पहले उन्हें अनुकूल बनाना
iii) सर्जरी
सतह के केंद्र की सर्जरी:
इस प्रक्रिया में 4 से 6 मिली मीटर व्यास वाले डिजायनदार बीड जैसे गणेश, बुद्ध आदि के आकार वाले सीप के भीतर उसके दोनों खोलों को अलग कर डाला जाता है। इसमें सर्जिकल उपकरणों से सतह को अलग किया जाता है। कोशिश यह की जाती है कि डिजायन वाला हिस्सा सतह की ओर रहे। वहाँ रखने के बाद थोड़ी सी जगह छोड़कर सीप को बंद कर दिया जाता है।
सतह कोशिका की सर्जरी:
यहाँ सीप को दो हिस्सों- दाता और प्राप्तकर्त्ता कौड़ी में बाँटा जाता है। इस प्रक्रिया के पहले कदम में उसके कलम (ढके कोशिका के छोटे-छोटे हिस्से) बनाने की तैयारी है। इसके लिए सीप के किनारों पर सतह की एक पट्टी बनाई जाती है जो दाता हिस्से की होती है। इसे 2/2 मिली मीटर के दो छोटे टुकड़ों में काटा जाता है जिसे प्राप्त करने वाले सीप के भीतर डिजायन डाले जाते हैं। यह दो किस्म का होता है- न्यूक्लीयस और बिना न्यूक्लीयस वाला। पहले में सिर्फ कटे हुए हिस्सों यानी ग्राफ्ट को डाला जाता है जबकि न्यूक्लीयस वाले में एक ग्राफ्ट हिस्सा और साथ ही दो मिली मीटर का एक छोटा न्यूक्लीयस भी डाला जाता है। इसमें ध्यान रखा जाता है कि कहीं ग्राफ्ट या न्यूक्लीयस बाहर न निकल आएँ।
प्रजनन अंगों की सर्जरी:
इसमें भी कलम बनाने की उपर्युक्त प्रक्रिया अपनाई जाती है। सबसे पहले सीप के प्रजनन क्षेत्र के किनारे एक कट लगाया जाता है जिसके बाद एक कलम और 2-4 मिली मीटर का न्यूक्लीयस का इस तरह प्रवेश कराया जाता है कि न्यूक्लीयस और कलम दोनों आपस में जुड़े रह सकें। ध्यान रखा जाता है कि न्यूक्लीयस कलम के बाहरी हिस्से से स्पर्श करता रहे और सर्जरी के दौरान आँत को काटने की जरूरत न पड़े।
iv) देखभाल
इन सीपों को नायलॉन बैग में 10 दिनों तक एंटी-बायोटिक और प्राकृतिक चारे पर रखा जाता है। रोजाना इनका निरीक्षण किया जाता है और मृत सीपों और न्यूक्लीयस बाहर कर देने वाले सीपों को हटा लिया जाता है।
v) तालाब में पालन
देखभाल के चरण के बाद इन सीपों को तालाबों में डाल दिया जाता है। इसके लिए इन्हें नायलॉन बैगों में रखकर (दो सीप प्रति बैग) बाँस या पीवीसी की पाइप से लटका दिया जाता है और तालाब में एक मीटर की गहराई पर छोड़ दिया जाता है। इनका पालन प्रति हेक्टेयर 20 हजार से 30 हजार सीप के मुताबिक किया जाता है। उत्पादकता बढ़ाने के लिए तालाबों में जैविक और अजैविक खाद डाली जाती है। समय-समय पर सीपों का निरीक्षण किया जाता है और मृत सीपों को अलग कर लिया जाता है। 12 से 18 माह की अवधि में इन बैगों को साफ करने की जरूरत पड़ती है।
vi) मोती का उत्पादन
ताजा पानी में मोती उत्पादन का खर्च
क्रम संख्या |
सामग्री |
राशि(लाख रुपये में) |
I. | व्यय | |
क. | स्थायी पूँजी | |
1. | परिचालन छप्पर (12 मीटर 5 मीटर) | 1.00 |
2. | सीपों के टैंक (20 फेरो सीमेंट/एफआरपी टैंक 200 लीटर की क्षमता वाले प्रति डेढ़ हजार रुपये) | 0.30 |
3. | उत्पादन इकाई (पीवीसी पाइप और फ्लोट) | 1.50 |
4. | सर्जिकल सेट्स (प्रति सेट 5000 रुपये के हिसाब से 4 सेट) | 0.20 |
5. | सर्जिकल सुविधाओं के लिए फर्निचर (4 सेट) | 0.10 |
| कुल योग | 3.10 |
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ख. | परिचालन लागत | |
1. | तालाब को पट्टे पर लेने का मूल्य (डेढ़ साल के लिए) | 0.15 |
2. | सीप (25,000 प्रति 50 पैसे के हिसाब से) | 0.125 |
3. | डिजायनदार मोती का खाँचा (50,000 प्रति 4 रुपये के हिसाब से) | 2.00 |
4. | कुशल मजदूर (3 महीने के लिए तीन व्यक्ति 6000 प्रति व्यक्ति के हिसाब से | 1.08 |
5. | मजदूर (डेढ़ साल के लिए प्रबंधन और देखभाल के लिए दो व्यक्ति प्रति व्यक्ति 3000 रुपये प्रति महीने के हिसाब से | 1.08 |
6. | उर्वरक, चूना और अन्य विविध लागत | 0.30 |
7. | मोतियों का फसलोपरांत प्रसंस्करण (प्रति मोती 5 रुपये के हिसाब से 9000 रुपये) | 0.45 |
| कुल योग | 4.645 |
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ग. | कुल लागत | |
1. | कुल परिवर्तनीय लागत | 4.645 |
2. | परिवर्तनीय लागत पर छह महीने के लिए 15 फीसदी के हिसाब से ब्याज | 0.348 |
3. | स्थायी पूँजी पर गिरावट लागत (प्रतिवर्ष 10 फीसदी के हिसाब से डेढ़ वर्ष के लिए) | 0.465 |
4. | स्थायी पूँजी पर ब्याज (प्रतिवर्ष 15 फीसदी के हिसाब से डेढ़ वर्ष के लिए | 0.465 |
| कुल योग | 5.923 |
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II. | कुल आय | |
1. | मोतियों की बिक्री पर रिटर्न (15,000 सीपों से निकले 30,000 मोती यह मानते हुए कि उनमें से 60 फीसदी बचे रहेंगे) | |
| डिजायन मोती (ग्रेड ए) (कुल का 10 फीसदी) प्रति मोती 150 रुपये के हिसाब से 3000 | 4.50 |
| डिजायन मोती (ग्रेड बी) (कुल का 20 फीसदी) प्रति मोती 60 रुपये के हिसाब से 6000 | 3.60 |
| कुल रिटर्न | 8.10 |
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III. | शुद्ध आय (कुल आय-कुल लागत) | 2.177 |
स्रोत: सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवॉटर एक्वाकल्चर, भुवनेश्वर, उड़ीसा