उत्तर प्रदेश में भूजल सम्पदा एवं दोहन की स्थिति

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ग्रामीण एवं नगर विकास में भूगर्भ जल का दोहन विकास का पर्याय बन चुका है। सुनिश्चित एवं सामयिक सिंचाई के साथ-साथ घरेलू एवं औद्योगिक उपयोग में इसका दोहन तेजी से बढ़ा है। प्रदेश के 895 विकास खंडों में, पुनरीक्षित मानक के अनुसार उपयोगार्थ भूजल उपलब्धता 172.22 करोड़ हे. मीटर अनुमानित है, जिसमें से 146.39 करोड़ हे. मीटर सिंचाई तथा 25.83 करोड़ हे. मीटर पेय एवं औद्योगिक उपयोग हेतु निर्धारित किया गया है। सिंचाई हेतु भूगर्भ जल का शुद्ध दोहन 118% किया जा रहा है तथा इसकी बढ़ोतरी दर 1.94 प्रतिशत प्रतिवर्ष अनुमानित है। इसके अनियोजित एवं असंतुलित दोहन से प्रदेश का पर्यावरण संतुलन बिगड़ता जा रहा है।

अत्यधिक दोहन वाले क्षेत्रों में डार्क एवं ग्रे श्रेणी विकास खण्डों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ भूजल स्तर में तेजी से गिरावट से जल संकट गहराता जा रहा है। मार्च, 1993 में पुनरीक्षित आंकलन के अनुसार प्रदेश के 26 विकास खण्ड डार्क श्रेणी एवं 66 विकास खण्ड ग्रे श्रेणी में आ गए हैं इसके विपरीत भूगर्भ जल कम दोहित नहर समादेश के अधिकांश क्षेत्रों में भूजल स्तर उथले क्रांतिक एवं अधिक्रान्ति स्थिति में आ गया है, जहां उसर/परती बढ़ने की समस्या के साथ-साथ भूजल एवं मृदा प्रदूषण बढ़ा है एवं कृषि उत्पादन/उत्पादकता में भारी क्षति हुई है। इस शोध पत्र में प्रदेश की हाइड्रोलाजिक स्थिति, भूजल उपलब्धता, दोहन, पर्यावरणीय विषमताएं तथा इसके संतुलित दोहन की रणनीति एवं प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई है।

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