वन का महत्व और वन्य संस्कृति (Essay on Importance of forest and Forest culture in Hindi)

Published on

वनस्पति-विहीन प्रकृति और बढ़ता हुआ प्रदूषण। सोचो मेरे वैज्ञानिकों, विचारों मेरे विचारकों, चिंतन करो अपनी मानव जाति की चिंता करने वाले चिंतकों, क्या हमारी अस्मिता के उद्गाता राष्ट्रकवि कालिदास द्वारा प्रशस्त पथ-समस्त चराचर प्रकृति के साथ रागात्मक पारिवारिक संबंधों की पुनः स्थापना के अतिरिक्त हमारी अस्तित्व-रक्षा का कोई और मार्ग है? ये कटते पेड़ रो-रोकर पुकार रहे हैं, मानव जाति के भावी सर्वनाश के प्रति हमें सचेत कर रहे हैं। काश, हम इनका आर्तनाद सुन पाते।

‘राजन आश्रम मृगोऽयं न हन्तव्यो, न हन्तव्यः
‘‘आर्त्तत्राणाय वः शस्त्रं न प्रहर्तुमनागसि।’’

लेखक परिचय

डॉ. दादूराम शर्मा
India Water Portal Hindi
hindi.indiawaterportal.org