वन मिटा सकते हैं गरीबी

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संयुक्त वन प्रबंधन का राष्ट्रीय स्तर पर कोई कानूनी ढांचा नहीं हैं, जिसके कारण स्थानीय ग्रामीण समुदायों में यह पूर्ण विश्वास नहीं है कि वनों के संरक्षण एवं विकास में लगाई गई उनकी मेहनत का पूरा-पूरा लाभ उन्हें 30-40 वर्षों के बाद उन्हें सुनिश्चित रूप से मिल पाएगा। यदि हम इन गांवों में मात्र 50-50 हेक्टेयर का भी ठीक-ठीक प्रबंध करें तो 30 सालों के चक्र पर हर गांवों को 10 लाख रुपये की डिस्काउंटेड आमदनी पर मिल सकेगी। ऐसा करने से किसी भी सरकार का गरीबों के प्रति उनके झुकाव स्पष्ट रूप से स्थापित हो सकता है।

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