यहाँ गाँवों का भी मास्टर प्लान बन रहा है

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पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में नगरीय विकास मंत्री रहे प्रताप सिंह सिंघवी गाँवों के मास्टर प्लान को सैद्धांतिक रूप से तो सही मानते हैं लेकिन इसके अमल पर उन्हें संदेह है। वे कहते हैं कि ‘सिर्फ मास्टर प्लान का दस्तावेज तैयार करने से कुछ नहीं होता, जमीनी स्तर पर इसका क्रियान्वयन करना जरूरी है। गाँवों का मास्टर प्लान के अनुसार विकास करना आसान काम नहीं है। वहाँ अतिक्रमण हटाने व जमीन का अधिग्रहण करने में कई व्यावहारिक दिक्कतें आती हैं। पर्याप्त बजट नहीं मिलना भी एक समस्या है। यदि इन समस्याओं को सुलझा लिया जाए तो अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।’

‘केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय भी राजस्थान सरकार के इस काम से खासा उत्साहित हैं। मंत्री गिरिजा व्यास कहती हैं कि ‘ऐसे समय में जब कई राज्यों में तो शहरों का भी मास्टर प्लान नहीं है, राजस्थान में गाँवों का मास्टर प्लान तैयार होना सुखद आश्चर्य है। हम कोशिश करेंगे कि सभी राज्य ऐसा करें।’
‘मास्टर प्लान में गाँव में उपलब्ध कृषि, खनिज, वन संसाधनों के गाँव के विकास पर पड़ने वाले प्रभाव को भी ध्यान में रखा गया है। गाँव में स्थित तालाब, बावड़ी, पहाड़ आदि को सुरक्षित रखने व विकसित करने पर भी ध्यान रखा गया है। इसी प्रकार जो गाँव मुख्य राष्ट्रीय मार्ग, राज्य मार्ग, जिला स्तरीय एवं अन्य महत्त्वपूर्ण सड़कों के समीप है, वहाँ कोई विकास कार्य प्रस्तावित किए जाएँ तो नियमानुसार सड़कों के केंद्र बिंदु से दोनों ओर आवश्यक चौड़ाई की जगह छोड़ना जरूरी होगा।’
‘जनसंख्या बढ़ने से गाँवों का तेजी से विस्तार हो रहा है लेकिन अनियोजित है। गाँव में न तो रास्ता ठीक है और न ही सार्वजनिक सुविधाओं के लिये जगह। गाँवों के मास्टर प्लान में इन सब चीजों का ध्यान रखा गया है। इसकी मदद से गाँवों में स्कूल, अस्पताल, खेल का मैदान, आंगनवाड़ी केंद्र, श्मशान, कब्रिस्तान, सामुदायिक केंद्र, बस स्टैंड, पानी की टंकी व बिजली घर आदि का निर्माण संभव होगा। मास्टर प्लान में पर्यावरण को सुरक्षित रखने का भी ध्यान रखा जाएगा। जिन गाँवों में वर्तमान में कोई पानी का तालाब, पोखर आदि नहीं है, वहाँ वर्षा के पानी को एकत्र करने के लिये एनिकट, तालाब, पोखर आदि का प्रावधान किया गया है।’
‘मास्टर प्लान का उपयोग कई जगह हो सकता है। हमारा मुख्य उद्देश्य राज्य में सड़कों, जल निकायों और स्कूलों सहित सार्वजनिक उद्देश्य के लिये भूमि को आरक्षित करना है ताकि विभिन्न जनोपयोगी योजनाओं को ग्राम पंचायतों द्वारा आसानी के साथ क्रियान्वित किया जा सके।’
‘सिर्फ मास्टर प्लान का दस्तावेज तैयार करने से कुछ नहीं होता, जमीनी स्तर पर इसका क्रियान्वयन करना जरूरी है। गाँवों का मास्टर प्लान के अनुसार विकास करना आसान काम नहीं है। वहाँ अतिक्रमण हटाने व जमीन का अधिग्रहण करने में कई व्यावहारिक दिक्कतें आती हैं। पर्याप्त बजट नहीं मिलना भी एक समस्या है। यदि इन समस्याओं को सुलझा लिया जाए तो अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।’
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