भूजल प्रबन्धन की ट्रेनिंग में प्रशिक्षण लेते प्रतिभागी
भूजल प्रबन्धन की ट्रेनिंग में प्रशिक्षण लेते प्रतिभागी

युवा पानीदार समाज बनाने की एक कोशिश

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रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सूनपानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून…

आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व ही रहीम दास जी ने पानी के बारे में समाज और सत्ता को एक बड़ी चेतावनी दे दी थी कि जल ही जीवन है। पानी के बिना इस संसार और जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पूरा देश आज पानी के संकट के मुहाने पर खड़ा बेबस नजर आ रहा है। पीने के पानी की गुणवत्ता भी एक बड़ी चुनौती है।

देश का मध्य क्षेत्र बुन्देलखण्ड पिछले एक दशक से पानी के संकट का बड़ा शिकार रहा है। यहाँ के ज्यादातर लोगों की जीविका खेती-किसानी ही है और पानी के कारण यहाँ की स्थिति नाजुक रहती है। बुन्देलखण्ड के हालात को देखते हुए लोक विज्ञान संस्थान (पीएसआई) देहरादून द्वारा “भूमिगत जल प्रबन्धन भागीदारी” पर एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन 5 से 17 मार्च 2018 तक महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय के पानी व पर्यावरण के छात्र- छात्राओं समेत बाहर से आए तमाम संस्थाओं के प्रतिभागियों ने भाग लिया।

वाटरशेड प्रबन्धन जरूरी

नदियों को भी बहने के लिये चाहिए भूजल

भौगोलिक स्थिति व भूविज्ञान को जानना भी जरूरी

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