अरुण कुमार पानीबाबा नहीं रहे

अरुण कुमार पानीबाबा नहीं रहे

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श्रद्धांजलि

अखबार के पन्नों पर अरुण कुमार 'पानीबाबा' के नाम, परम्परागत व्यंजनों की लम्बी लेखमाला और बिना लाग-लपेट के अपनी बात कहने के लिये मशहूर श्री अरुण जी नहीं रहे।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक, नागपुर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का अध्ययन करने वाले श्री अरुण कुमार जी ने 60वें दशक के मध्य में नागपुर टाइम्स में उपसम्पादक पद से अपने पत्रकारिता धर्म की शुरुआत की।

70 के दशक में समाचार एजेंसी UNI के साथ काम किया। एक समय में वह राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत के बेहद करीबी सलाहकारों में से एक रहे।

पानी के अभियानों में सक्रिय भूमिका और 'भारत का जलधर्म' तथा 'अन्न-जल' पुस्तक ने उन्हें पानीबाबा के रूप में ख्याति दी। 80 के दशक में राजस्थान में पानी मार्च ने भी उन्हें पानीबाबा बनाया। तरुण भारत संघ के पानी कार्यक्रमों में मैंने उन्हें कई मर्तबा मार्गदर्शी भूमिका में देखा। बेटा बटुक को उसकी जिन्दगी के लिये तैयार करने के उनके अन्दाज को भी मैंने सामान्य पिता से भिन्न पाया।

गाजियाबाद के वसुंधरा इलाके के सेक्टर 9 के जनसत्ता अपार्टमेंट के ए ब्लॉक का फ्लैट उनका अन्तिम ठिकाना बना। उनके फेफड़े में इन्फेक्शन की तकलीफ थी। 9 मई, 2016 को प्रातः 10.30 बजे श्री अरुण कुमार 'पानीबाबा' ने अन्तिम साँस ली। घर से वैशाली स्थित मैक्स अस्पताल ले जाते वक्त उनकी साँस एम्बुलेंस में ही छूट गई। दोपहर बाद चार बजे हरनन्दी नदी (मोहन नगर, गाजियाबाद) के किनारे उनका अन्तिम संस्कार किया गया।

इस मौके पर उपस्थित मेरे परिचित चेहरों में जनसत्ता के पूर्व सम्पादक श्री ओम थानवी और नवभारत टाइम्स के पूर्व सम्पादक श्री रामकृपाल सिंह के अलावा श्री राजेश रपरिया, श्री प्रदीप सिंह, श्री अरविन्द मोहन, श्री शम्भुनाथ शुक्ल, श्री मनोज चतुर्वेदी , श्री अरुण कुमार त्रिपाठी, श्री सत्येंद्र रंजन, श्री अनिल मिश्र समेत कई वरिष्ठ पत्रकार उपस्थित थे।

गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री कुमार प्रशान्त, सचिव श्री अशोक कुमार, तत्व प्रचार केन्द्र के समन्वयक श्री रमेश चन्द्र शर्मा, गाँधी मार्ग के प्रबन्धक श्री मनोज झा के अतिरिक्त सामाजिक जगत के श्री विजय प्रताप, श्री अटल बिहारी शर्मा और डॉ. ओंकार मित्तल जी ने भी मौके पर पहुँचकर अपनी संवेदना दर्ज कराई।

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