बुन्देलखण्ड : तालाबों से  लिखी जा रही नई इबारत

बुन्देलखण्ड : तालाबों से लिखी जा रही नई इबारत

Published on
4 min read

भयंकर सूखे में भी किसानों ने बोई फ़सल

मैयादीन के पास पट्टे की दो बीघा बंजर ज़मीन है बंजर ज़मीन और उस पर सिंचाई के साधन भी नहीं। मैयादीन सरकार से मिली ज़मीन का उपयोग खेती के लिये करने में असमर्थ थे उन्होंने भी अपने खेत में एक छोटा तालाब खुदवाने का निर्णय लिया आज उनके तालाब में पानी है जो उनकी उम्मीदों को पुख्ता करने के लिये काफी है। उनका कहना है कि तालाब ने एक आस जगा दी है।

महोबा जनपद की तहसील चरखारी के गाँव काकून में तालाबों ने नई इबारत लिखनी शुरू कर दी है। गाँव के किसान खुश हैं कि उन्होंने खेत पर ही तालाब बनाकर जमीन की प्यास बुझाने के लिये वर्षाजल का संचयन करने का इन्तजाम कर लिया है।

वर्ष 2014-15 में अपना तालाब अभियान के अन्तर्गत काकून गाँव में सूखे से तंग आकर लगभग 70 किसानों ने अपनी प्यासी खेती की ज़मीन पर तालाब बनाने का संकल्प लिया आज वो तालाब नई इबारत लिखने को तैयार हैं।

जिन किसानों ने तालाब अपने खेतों में अभी नहीं बनवाए हैं वो उतावले हैं कि कब वह भी तालाब बनवाकर अपनी वर्षा के पानी का संचयन कर खुशहाल हों।

गाँव के किसान दशाराम ने अपनी आप बीती सुनाते हुए बताया कि वह पाँच भाई हैं उनकी सारी जमीन पिताजी एवं माताजी के नाम है सिचाई के साधन न होने के कारण वर्षा पर ही खेती का भविष्य तय होता था।

हमने देखा कि वर्षा तो हो रही है लेकिन उस समय नहीं जब उनके खेतों को जरूरत है और वर्षा का पानी भी एकत्रित करने का कोई साधन भी नहीं जिसे बाद में समय पर प्रयोग किया जा सके।

घर में पिताजी ने निर्णय लिया कि खेत पर तालाब बनवा लिया जाय जिससे समय पर जरूरत पड़ने वाले पानी का उपयोग किया जा सके।

हमने पिताजी के नाम वाली ज़मीन पर तालाब खुदवाया जब माताजी ने पिताजी की ज़मीन पर तालाब बना देख और उसका उपयोग समझ अपने नाम वाली ज़मीन पर भी तालाब खुदवाने की जिद की और उनकी ज़मीन पर भी तालाब बनवाया गया।

पिछले वर्ष वर्षा कम हुई बावजूद उसके हमारे तालाब में बहुतायत पानी संचित हो गया। जो मेरे लिये एक सुखद अनुभव है।

मैयादीन के पास पट्टे की दो बीघा बंजर ज़मीन है बंजर ज़मीन और उस पर सिंचाई के साधन भी नहीं। मैयादीन सरकार से मिली ज़मीन का उपयोग खेती के लिये करने में असमर्थ थे उन्होंने भी अपने खेत में एक छोटा तालाब खुदवाने का निर्णय लिया आज उनके तालाब में पानी है जो उनकी उम्मीदों को पुख्ता करने के लिये काफी है। उनका कहना है कि तालाब ने एक आस जगा दी है।

गाँव की शान्ति देवी के पास भी पट्टे की ज़मीन है उन्होंने भी अपनी पट्टे की जमीन पर तालाब खुदवाया खास बात ये है कि वह उस तालाब से एक फसल भी ले चुकी हैं। गाँव के किसानों ने बताया कि अब किसानों की व्यस्तता बढ़ने लगी है अब लोग गाँव में अपना समय व्यतीत नहीं करते बल्कि खेत पर रह कर खेती के बारे में सोचने लगे हैं जो उनके तथा उनके परिवार के भविष्य के लिये अच्छी सूचना है।

किसानों ने बताया कि बोर के पानी से सिंचाई करने तथा तालाब के पानी से सिंचाई करने की लागत में तीन गुने का अन्तर है तालाब से पानी खेतों को देने में कम खर्च आना सुखद है।

2500 की आबादी वाले गाँव में चिकित्सा की कोई सुविधा नहीं है बच्चों को पढ़ने के लिये प्राइमरी स्कूल है माध्यमिक शिक्षा के लिये चरखारी जाना पड़ता है जो लड़कियों के लिये सम्भव नहीं है।

अपना तालाब अभियान को गति देने वाले पुष्पेन्द्र भाई ने बताया कि गिरते जलस्तर को बचाने के लिये जरूरी है कि तालाबों को संरक्षित किया जाय साथ ही वर्षा का पानी संचयित करने को खेतों पर ही तालाबों को खुदवाया जाय। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 4 इंच ज़मीन का जलस्तर नीचे जा रहा है जो अच्छे संकेत नहीं हैं।

गिरते जलस्तर से हैण्डपम्प और ट्यूबवेल पानी देना छोड़ रहे हैं। केन बेतवा का गठजोड़ भी भयावह स्थिति को सम्भालने में सक्षम नहीं होगा। सरकार को चाहिए कि किसानों को तालाब बनाने के लिये बिना ब्याज का कम-से-कम 6 वर्ष के लिये धन मुहैया करवाए जिससे उनकी माली हालत बदल सके।

खेत पर तालाब होंगे तो किसान बाग़वानी का लाभ भी ले सकेंगे। खेतों में तार की बाड़ लगाकर किसान एक हेक्टेयर में बागवानी कर 3000 रुपए प्रतिमाह ले सकता है । एक हेक्टेयर में आम के 100, अमरुद के 278, आँवले के 278, बेर के 278, बेल के 278, नीबू प्रजातीय के 278, तथा अनार के 400 पौधे रोपित कर सकता है।

यदि किसान इनको सौ प्रतिशत संरक्षित कर लेता है तो उसे तीन साल तक 3000 रुपए माह उद्यान विभाग से दिया जाएगा। सरकार को तार फिनिशिंग के लिये बैंकों से मदद का इन्तजाम करना चाहिए।

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org