उचित स्थान का चुनाव करना बहुत ही जरूरी है। इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान देना अति आवश्यक है :
1. मकान किसी पहाड़ की चोटी पर न बनायें ऐसी जगहों पर भूकम्प का कम्पन ज्यादा होता है।
2. भूकम्प में कम ढाल वाली जगह या फिर लगभग समतल स्थान पर बने मकान ज्यादा स्थिर व सुरक्षित रहते हैं।


4. खेती वाली जमीन मकान बनाने के लिए उचित नहीं होती है क्योंकि वहाँ पर मिट्टी काफी नरम होती है। परन्तु यदि मजबूरी में वहाँ मकान बनाना पड़ ही जाए तो बुनियाद अधिक गहरी व चौड़ी रखनी चाहिए।
आकार
मकान के आकार का काफी महत्व होता है, खास कर भूकम्पीय क्षेत्र में दिए गये आकार तो एकदम ही अनुपयुक्त होते हैं।



मकान का नक्शा (प्लान)
एक बार जगह का सही चयन हो जाए तो मकान का प्लान तैयार होता है, अर्थात मकान मालिक अपनी जरूरतों को देखते हुए यह तय करता है कि कितने कमरे होंगे, कहाँ होंगे और कितने बड़े अथवा छोटे होंगे। भूकम्प अवरोधक निर्माण की विधि को अच्छी तरह से समझने के लिए नीचे, नमूने के तौर पर, एक नक्शा दिया गया है। प्लान में एक छोटा कमरा, एक बड़ा कमरा और एक बरामदा है (चित्र में)। इस प्लान के आधार पर निर्माण की विधि को आसानी से समझा जा सकता है।

सबसे पहले प्लान के मुताबिक जमीन पर चूने से निशान लगाएँ। इसके लिए खूंटी की मदद से सूत को लम्बाई की दिशा में बाँधिए। फिर गुनिया की मदद से इसको लम्बवत काटते हुए अन्य जगहों पर (प्लान की चौड़ाई के आधार पर) सूत बाँधिए। इन सूतों को केन्द्र मानते हुए इसके दोनों तरफ चूने से निशान लगाएँ। खुदाई के वक्त सूत खोल लें। इन खूटियों में सूत बाँध कर किसी भी क्षण निर्माण कार्य की जाँच की जा सकती है। इससे समय की भी बचत होगी।

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