भूकम्प की तीव्रता (The intensity of earthquakes)

14 Feb 2017
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जहाँ परिमाण भूकम्प में अवमुक्त ऊर्जा को दर्शाता है वहीं भूकम्प आने पर किसी क्षेत्र में महसूस किये जाने वाले झटकों की तीव्रता या भूकम्प से क्षेत्र में हुयी क्षति या भूकम्प के कारण उस स्थान पर स्थित अवसंरचनाओं पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन करने के लिये मैकाली पैमाने (Mercalli Scale) का उपयोग किया जाता है। यह पैमाना भूकम्प से उत्पन्न कम्पनों के पृथ्वी की सतह, मनुष्यों एवं मानव निर्मित संरचनाओं पर पड़ने वाले प्रभावों पर आधारित है।

भूकम्प की तीव्रता को नापने वाला यह पैमाना वस्तुनिष्ठ न होकर व्यक्तिपरक होता है। यानी इसके द्वारा भूकम्प की तीव्रता का आकलन करने के लिये किसी फार्मूले या यंत्र का उपयोग नहीं किया जाता है और भूकम्प से प्रभावित किसी स्थान पर भूकम्प की तीव्रता के निर्धारण के लिये वहाँ रहने वाले लोगों के साथ ही वहाँ स्थित घरों व मकानों पर पड़े भूकम्प के प्रभावों की तुलना एक मानक तालिका में दिये गये प्रभावों से की जाती है।

अतः निर्धारित की गयी तीव्रता बहुत कुछ भूकम्प के बाद क्षेत्र का सर्वेक्षण कर रहे व्यक्तियों के विवेक व अनुभव पर निर्भर करती है। इस पैमाने के अनुसार भूकम्प के प्रभावों को I से XII तक रोमन अंकों द्वारा दर्शाया जाता है।

इस प्रकार भूकम्प प्रभावित क्षेत्र का अध्ययन या निरीक्षण करने के बाद क्षेत्र को समान भूकम्पीय तीव्रता वाले भागों में विभाजित कर के क्षेत्र में आये भूकम्प का तीव्रता मानचित्र तैयार किया जाता है जो कि उस क्षेत्र में भूकम्प के झटकों से पड़े प्रभावों को दर्शाता है।

 

किसी बिजली के बल्ब से तुलना करके भूकम्प के परिमाण व तीव्रता के इस अन्तर को सहज ही समझा जा सकता है। जल रहे 100 वाट के बल्ब के नजदीक रोशनी ज्यादा होती है और बल्ब से दूरी बढ़ने के साथ रोशनी कम होती चली जाती है। यहाँ यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि दूर जाने पर रोशनी चाहे कितनी भी कम क्यों न हो जाये, बल्ब 100 वाट का ही रहेगा। इसी तरह अभिकेन्द्र से दूरी बढ़ने के साथ भूकम्प की तीव्रता कम होती चली जाती है पर जल रहे बल्ब की ही तरह परिमाण हर जगह वही रहता है। अतः भूकम्प का परिमाण तो वही रहेगा पर जगह बदलने के साथ तीव्रता जरूर कम-ज्यादा होती रहेगी।

 

यहाँ यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि परिमाण भूकम्प में अवमुक्त ऊर्जा को दर्शाता है, इसलिये वह स्थान के बदलने पर कम या ज्यादा नहीं होता है। हम अभिकेन्द्र से कितनी भी दूर क्यों न हों भूकम्प का परिमाण उतना ही रहेगा। अब भूकम्प का परिमाण 6.1 है तो वह हर जगह वही रहेगा। हमारी इस सार्वभौमिक गणित के विपरीत भूकम्प की तीव्रता (intensity) पृथ्वी की सतह पर महसूस किये जाने वाले भूकम्प के प्रभावों को दशार्ती है, इसलिये स्थान के बदलने के साथ इसमें बदलाव आता रहता है। अभिकेन्द्र के नजदीक भूकम्प की तीव्रता प्रायः सर्वाधिक होती है और अभिकेन्द्र से दूर जाने पर यह घटती जाती है।

मैकाली पैमाने पर भूकम्प की तीव्रता के निर्धारण के लिये प्रायः उपयोग में लाये जाने वाले भूकम्प के प्रभावों को नीचे दी गयी मानक तालिका में संकलित किया गया है।

 

तीव्रता

प्रकार

प्रभाव

I

यांत्रिक (Instrumental)

- प्रायः मनुष्यों द्वारा महसूस नहीं किया जाता है।

II

क्षीण (Weak)

- केवल संवेदनशील व्यक्तियों द्वारा महसूस किया जाता है; वह भी विशेष रूप से मकान की ऊपरी मंजिलों में

- वस्तुओं में हल्के कम्पन हो सकते हैं

III

हल्का (Slight)

- घर के अन्दर, विशेष रूप से ऊपरी मंजिलों में, काफी लोगों द्वारा महसूस किया जाता है।

- भारी वाहन के गुजरने पर होने वाला आभास

- अन्दर रखी वस्तुओं में कम्पन

IV

मध्यम (Moderate)

- घरों के अन्दर काफी लोगों द्वारा महसूस किया जाता है परन्तु बाहर खुले में कुछ ही लोग इसे महसूस कर पाते हैं।

- कुछ लोगों की नींद खुल सकती है

- बर्तनों, खिड़की-दरवाजों में खड़खड़ाहट

- कोई क्षति नहीं

V

अपेक्षाकृत तीव्र (Rather strong)

- घर के बाहर व अन्दर सभी के द्वारा महसूस किया जाता है

-

- खिड़की के शीशे टूट सकते हैं

- मकानों में हल्की क्षति की सम्भावना

- खुले बर्तनों से तरल छलक सकता है

- रेलगाड़ी के मकान के पास से गुजरने पर होने वाला एहसास

VI

तीव्र (Strong)

- घर के अन्दर व बाहर सभी के द्वारा महसूस किया जाता है

- कुछ व्यक्ति डरकर बाहर भाग सकते हैं

- खिड़की के शीशे टूट सकते हैं

- किताबें रैक से नीचे गिर सकती हैं

- फर्नीचर अपनी जगह से खिसक या गिर सकता है

- कुछ स्थानों पर प्लास्टर गिर सकता है

- निम्न कोटि के निर्माण में हल्की क्षति हो सकती है

VII

अति तीव्र (Very strong)

- खड़े रह सकने में कठिनाई महसूस होती है

- फर्नीचर क्षतिग्रस्त

- मकानों में क्षति; अच्छे निर्माण में हल्की, साधारण निर्माण में हल्की से मध्यम व निम्न निर्माण में काफी क्षति

- वाहन चला रहे व्यक्तियों द्वारा महसूस किया जाता है

VIII

विनाशकारी (Destructive)

- अच्छे निर्माण में हल्की क्षति

- साधारण निर्माण में काफी क्षति व ध्वस्त होने की सम्भावना

- ज्यादातर निम्न कोटि के निर्माण ध्वस्त

- चिमनी गिरने की सम्भावना

IX

हिंसक (Violent)

- अफरातफरी का माहौल

- अच्छे निर्माण में साधारणतः हल्की से मध्यम क्षति

- कुछ मकानों की नींव हिल सकती है

X

प्रचंड (Intense)

- कई अच्छे निर्माण क्षतिग्रस्त या ध्वस्त

- ज्यादातर अन्य निर्माण ध्वस्त

- अवसंरचनाओं की नींव से हिल जाने की सम्भावना

- बड़े भूस्खलन

XI

पराकाष्ठा (Extreme)

- कुछ अवसंरचनाएँ ही खड़ी रह सकती हैं

- अनेकों भूस्खलन

- पृथ्वी की सतह पर दरारें व विकृति

XII

प्रलयकारी (Catastrophic)

- सम्पूर्ण विनाश

- सतही परिवर्तन

- वस्तुयें हवा में उछल सकती हैं

- भू-आकृतीय परिवर्तन

 

वैसे तो भूकम्प के परिमाण व तीव्रता के बीच कोई सीधा सम्बंध नहीं है परन्तु परिमाण के बढ़ने के साथ सामान्यतः तीव्रता भी बढ़ती जाती है। अभिकेन्द्र के समीप स्थित स्थानों पर विभिन्न परिमाण के भूकम्पों में सम्भावित तीव्रता का विवरण नीचे तालिका में दिया गया है।

 

भूकम्प का परिमाण (रिक्टर पैमाने पर)

अभिकेन्द्र के पास तीव्रता (मैकाली पैमाने पर)

1.0-3.0

I

3.0-3.9

II-III

4.0-4.9

IV-V

5.0-5.9

VI-VII

6.0-6.9

VII-IX

7.0 एवं इससे अधिक

VIII या अधिक

 


 

कहीं धरती न हिल जाये

(इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें)

क्रम

अध्याय

1

पुस्तक परिचय - कहीं धरती न हिल जाये

2

भूकम्प (Earthquake)

3

क्यों आते हैं भूकम्प (Why Earthquakes)

4

कहाँ आते हैं भूकम्प (Where Frequent Earthquake)

5

भूकम्पीय तरंगें (Seismic waves)

6

भूकम्प का अभिकेन्द्र (Epiccenter)

7

अभिकेन्द्र का निर्धारण (Identification of epicenter)

8

भूकम्प का परिमाण (Earthquake Magnitude)

9

भूकम्प की तीव्रता (The intensity of earthquakes)

10

भूकम्प से क्षति

11

भूकम्प की भविष्यवाणी (Earthquake prediction)

12

भूकम्प पूर्वानुमान और हम (Earthquake Forecasting and Public)

13

छोटे भूकम्पों का तात्पर्य (Small earthquakes implies)

14

बड़े भूकम्पों का न आना

15

भूकम्पों की आवृत्ति (The frequency of earthquakes)

16

भूकम्प सुरक्षा एवं परम्परागत ज्ञान

17

भूकम्प सुरक्षा और हमारी तैयारी

18

घर को अधिक सुरक्षित बनायें

19

भूकम्प आने पर क्या करें

20

भूकम्प के बाद क्या करें, क्या न करें

 

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