गॉडजिला में कुदरत के कहर की झलक
हॉलीवुड की तीन फिल्में पर्यावरण विनाश पर केंद्रित
आने वाले दिनों में हॉलीवुड की कुछ ऐसी फिल्में रिलीज होने जा रही हैं जो पर्यावरण से जुड़ी भयावह स्थितियों पर रोशनी डालती हैं। फिल्म गॉडजिला का नया संस्करण मानव द्वारा धरती के साथ की गई ज्यादतियों और फिर पृथ्वी के प्रतिशोध का चित्रण करती है। यह परमाणु हथियारों के खतरे को सामने लाती है।
फिल्म के डायरेक्टर 38 वर्षीय गेरेथ एडवर्ड्स कहते हैं, हमारी पीढ़ी के जमाने में द्वितीय विश्व युद्ध या वियतनाम युद्ध या कैनेडी हत्याकांड नहीं हुआ है। हमारे दिल-दिमाग में सुनामी या केटरीना तूफान जैसे दुस्वप्न की यादें बसी हुई हैं। विज्ञान कथाओं पर आधारित फिल्में हमेशा अपने समय की डरावनी घटनाओं की तस्वीर पेश करती हैं।
16 मई को गॉडजिला की रिलीज के बाद भी दुर्घटनाओं पर केंद्रित फिल्मों का सिलसिला जारी रहेगा। इन टू द स्टॉर्म (8 अगस्त) और स्नोपियर्सर (27 जून) ऐसी ही फिल्में हैं। इन टू द स्टॉर्म में एक अमेरिकी शहर को भीषण तूफान की त्रासदी से निपटते दिखाया गया है। स्नोपियर्सर में कैप्टन अमेरिका के क्रिस ईवांस हिम युग से पैदा हुए सामाजिक तनावों से जूझते हैं। कुछ लोग ऐसी फिल्मों को क्लाइमेट फिक्शन की संज्ञा देते हैं। सभी फिल्मों में पर्यावरण के विनाश को केंद्र में रखा गया है।
गॉडजिला में प्रकृति केवल तकलीफ ही नहीं पहुंचाती है, वह सब कुछ ध्वस्त कर देती है। फिल्म के स्टार आरोन टेलर जॉनसन कहते हैं, प्रकृति अपने तरीके से लड़ती है। गॉडजिला इसका प्रतिनिधित्व करता है। गॉडजिला नामक दानव खलनायक है लेकिन उसकी पीठ पर ग्रीनपीस का लोगो लगा है। फिल्म का कथानक परमाणु कचरे के स्टोरेज की सुरक्षा पर केंद्रित है।
एडवर्ड्स बताते हैं, गॉडजिला बनाते समय ध्यान रखा गया है कि लोगों को डराने वाली फिल्म में सच्चाई का अंश हो। इन टू द स्टॉर्म फिल्म वास्तविक तूफानों की रिसर्च पर आधारित है। स्नोपियर्सर के अमेरिकी डिस्ट्रीब्यूटर टॉम क्विन का कहना है, जलवायु परिवर्तन के बाद की स्थितियों को दिखाने वाली फिल्म नई पीढ़ी को प्रभावित करेगी। एडवर्ड्स का कहना है, गॉडजिला जैसी फिल्म हमने जो कुछ किया है, उसका काल्पनिक दंड है। अगर हम ऐसा ही करते रहे तो वास्तविक दंड मिलेगा।