मेरी हिण्डन-मेरी पहल अभियान से जुड़ रहा है समाज
हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के सुधार हेतु जहाँ उत्तर प्रदेश सरकार ने कदम उठाया है वहीं सामाजिक स्तर से एक अनूठी पहल प्रारम्भ हुई है। इस पहल को मेरी हिण्डन-मेरी पहल नाम दिया गया है। यह एक सामाजिक पहल है। इसके तहत कोई भी आमजन हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के सुधार में सहयोग हेतु किसी भी प्रकार से सहयोग कर सकता है।हिण्डन नदी के उद्गम स्थल से लेकर उसके यमुना नदी में विलीन होने तक सभी सात जनपदों में इस अभियान का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। हिण्डन व उसकी सहायक नदियों किनारे बसा समाज इस पहल के साथ जुड़कर अपनी नदियों के लिये प्रयास करने को आतुर नजर आ रहे हैं। कहीं तालाब बनाने का कार्य हो रहा है तो कहीं वृक्षारोपण का। ऐसे ही अनेकों प्रयास समाज ने प्रारम्भ किये हैं।
मेरठ मण्डल के मण्डलायुक्त आलोक सिन्हा से प्रेरणा पाकर नीर फाउंडेशन ने मेरी हिण्डन-मेरी पहल अभियान की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य सरकार के सकारात्मक प्रयासों के साथ हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे समाज को जोड़ना है। सरकार के प्रयास से समाज जुड़ेगा और उसमें सहयोग करेगा तो बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इस पहल के तहत हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के किनारे बसा समाज व इन नदियों से प्रभावित समाज अपने दायित्व को समझते हुए अपने स्तर से योगदान दे रहे हैं।
मेरी हिण्डन-मेरी पहल का प्रारूप
मेरी हिण्डन-मेरी पहल की सात सदस्यों की एक केन्द्रीय कमेटी बनाई गई है। हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के गुजरने वाले प्रत्येक जनपद में दो सदस्यों एक जनपदीय कमेटी बनाई गई है। नदियों के पाँच किलोमीटर दोनों किनारों के प्रत्येक गाँव में दो सदस्यों की एक गाँव कमेटी बनाई जा रही है। केन्द्रीय स्तर पर दो सदस्यों की एक मीडिया कमेटी बनाई गई है। सभी कमेटियों के सभी सदस्य अवैतनिक हैं।
सहारनपुर जनपद से लेकर गौतमबुद्धनगर तक सभी जनपदों की कमेटियों के गठन का कार्य किया जा रहा है। गाजियाबाद में सामाजिक कार्यकर्ता संजय कश्यप, मुजफ्फरनगर में नंदकिशोर शर्मा, बागपत में कुलदीप त्यागी, शामली में करूणेश, मेरठ में राहुल देव, गौतमबुद्धनगर में विक्रांत तथा सहारनपुर में पी के शर्मा इस अभियान की कमान सम्भालेंगे।
मेरी हिण्डन-मेरी पहल के स्वयं सेवक
इस अभियान के तहत इन नदियों के किनारे के गाँवों में मेरी हिण्डन-मेरी पहल के स्वयं सेवक नियुक्त किये जा रहे हैं। स्वयं सेवक कोई भी वह आमजन बन सकता है जो यह मानता हो कि हाँ हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के लिये मैं भी कुछ करना चाहता हूँ। ये स्वयं सेवक विभिन्न प्रकार से अपना योगदान दे रहे हैं। कोई भी स्वयं सेवक इन नदियों के संरक्षण में योगदान हेतु अपनी योजना मेरी हिण्डन-मेरी पहल समिति के सामने प्रस्तुत कर सकता है।
कमेटी द्वारा योजना पास किये जाने पर उस योजना को अमल में लाया जाएगा। ये स्वयं सेवक ही इन नदियों के वास्तविक रक्षक हैं। स्वयं सेवक नदी में प्रदूषण समाप्त करने के कार्य में सहयोगी की भूमिका निभा रहे हैं। समय-समय पर सभी स्वयं सेवकों के सम्मेलन आयाजित किये जाने हैं।
मेरी हिण्डन-मेरी पहल के प्रचार माध्यम

इस अभियान का फेसबुक पेज, मुखपत्र, लोगों व वेबसाइट आदि प्रचार माध्यम कार्य करने लगे हैं।
मेरी हिण्डन-मेरी पहल के कार्य
1. हिण्डन व उसकी दोनों सहायक नदियों के पानी के कुल 26 नदियों के नमूनों का परीक्षण किया जाएगा। जिसमें कि हिण्डन से 14 नमूने कृष्णी व काली से 6-6 नमूनों का परीक्षण किया जाएगा। नदी के गुजरने वाले प्रत्येक जनपद से दो नमूने लिये जाएँगे। पहला नमूना जहाँ नदी उस जनपद में प्रवेश करती है और दूसरा दूसरे जनपद में प्रवेश करन से पहले।
2. हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के किनारों के गाँवों का डाटा तैयार किया जा रहा है।
3. इन सभी गाँवों में मेरी हिण्डन-मेरी पहल के स्वयं सेवक नियुक्त किये जा रहे हैं।
4. इन सभी गाँवों में नदी-जल जागरुकता गोष्ठियाँ आयोजित की जा रही हैं। गोष्ठियों के दौरान नदी के कारण होने वाली परेशानियों को समझकर उनके समाधान का सरकार के साथ मिलकर प्रयास किया जा रहा है।
5. इन नदियों के पानी से किसान सिंचाई न करें इसके लिये उनको जागरूक किया जाएगा। जिन गाँवों में इन नदियों के पानी से फसलों की सिंचाई की जाती है उनकी मिट्टी व फसलों का परीक्षण कराकर गाँववासियों को जानकारी दी जा रही है।
6. जिन गाँवों जल प्रदूषण की गम्भीर समस्या है या फिर गाँववासियों को गम्भीर बीमारियाँ हो रही हैं, उन गाँवों का डोर-टू-डोर सर्वे कराकर उन गाँवों में शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध कराने हेतु स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रयास किया जा रहा है। इन गाँवों में शीघ्र व दूरगामी दो प्रकार की योजनाएँ बनाई जा रही हैं। शीघ्र में उनको तुरन्त किस प्रकार से राहत दी जा सकती है उससे सम्बन्धित कार्य किये जा रहे हैं तथा दूरगामी में गाँवों का भूजल प्रदूषण मुक्त हो तथा उनकी कृषि मिट्टी जहर मुक्त हो इसके लिये विभिन्न प्रकार के कार्य किये जा रहे हैं।
7. इन नदियों के किनारों पर समय-समय पर वृक्षारोपण का कार्य प्रारम्भ किया गया है।
8. इन नदियों का नाले से नदी बनाने में गाँववासियों से सुझाव लिये जा रहे हैं।
9. जल प्रदूषण से प्रभावित गाँवों में चिकित्सा कैम्प लगाने का कार्य प्रारम्भ किया गया है।
10. जिन गाँवों का भूजल अत्यधिक प्रदूषित हो चुका है उनका परीक्षण भी कराए जाने का कार्य प्रारम्भ किया गया है।
11. इन नदियों के किनारे के गाँवों के निजी व सरकारी स्कूलों में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।
12. स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर इन नदियों के किनारे के गाँवों में सरकारी योजनाओं का ठीक प्रकार से संचालन हो इसके लिये प्रयास किये जा रहे हैं।
अभियान के तहत प्रारम्भ किये गए कार्य
करनावल गाँव में तीन तालाबों का निर्माण
मेरी हिण्डन-मेरी पहल के तहत मेरठ जनपद में हिण्डन नदी के बेसिन क्षेत्र के कस्बा करनावल में एक किसान द्वारा तीन तालाबों का निर्माण किया गया है। यह तालाब करीब 25 बीघा जमीन में बनाए गए हैं। इन तालाबों के कार्य को देखकर निकट के अन्य गाँवों के किसान भी प्रेरणा लेकर अपने-अपने गाँवों में तालाबों के कार्य में जुटने लगे हैं।

इन तीनों तालाबों में नहर का पानी आने की व्यवस्था भी कराई गई है और किसान ने मछली पालन का कार्य प्रारम्भ कर दिया है। तीनों तालाबों के माध्यम से प्रतिवर्ष लाखों लीटर पानी भूजल में जाकर मिल जाएगा। इससे जहाँ भूजल स्तर बढ़ेगा वहीं भूजल की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
सतीश कुमार का उत्साह बढ़ाने व अन्य किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इन तालाबों का देश में जल, जंगल, जमीन, जानवर एवं जन के अधिकारों की लड़ाई के अगुवा सामाजिक कार्यकर्ता व एकता परिषद के अध्यक्ष श्री पीवी राजगोपाल (राजा जी) तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री सोमपाल शास्त्री द्वारा उद्घाटन 29 मई को कराया गया तथा जलदूत सतीश कुमार को सम्मानित भी किया गया। 2030 डब्ल्यू आर जी समूह की एक टीम ने करनावल के इन तालाबों का निरीक्षण किया।
डबल व मोरकुक्का गाँवों का अध्ययन
मेरी हिण्डन-मेरी पहल के तहत मुजफ्फरनगर जनपद में हिण्डन की प्रमुख सहायक नदी काली (पश्चिम) के किनारे बसे दो गाँवों डबल व मोरकुक्का का सम्पूर्ण अध्ययन किया गया है। इन गाँवों की आबादी करीब 5000 है। काली नदी (पश्चिम) में अत्यधिक प्रदूषण के चलते गाँवों का भूजल प्रदूषित हो चुका है। गाँववासी इसी प्रदूषित पानी को पीने के लिये मजबूर हैं, जिस कारण से ग्रामीणों को कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियाँ हो रही हैं।
मेरी हिण्डन-मेरी पहल के स्वयं सेवकों देवपाल सिंह व मयंक मलिक द्वारा दोनों गाँवों के करीब 400 परिवारों का घर-घर जाकर सर्वे किया गया तथा वहाँ के हैण्डपम्पों के पानी का परीक्षण भी कराया गया।
डबल गाँव के सर्वेक्षण के आँकड़े
परिवारों की संख्या | 201 |
कुल आबादी | करीब 1465 (पुरूष - 775 और महिलाएँ - 690) |
कुल बच्चे | 479 |
कुल बुजुर्ग (60 वर्ष से अधिक आयु) | 127 |
गाँव की अधिकतर आबादी पढ़ी-लिखी है, उसमें स्नातक व परास्नातक भी हैं तथा महिलाएँ भी शिक्षित हैं। | |
90 प्रतिशत परिवार की औसतन मासिक आय | 2000-5000 रुपए |
10 प्रतिशत परिवार की औसतन मासिक आय | 6000-12000 रुपए |
गाँव की कुल औसतन मासिक आय | 7,79,300 रुपए |
चिकित्सा पर होने वाला औसतन मासिक खर्च | 1000-2000 रुपए |
चिकित्सा पर गाँव के सभी परिवारों का कुल होने वाला औसतन मासिक खर्च | 2,22,100 रुपए |
कैंसर से पीड़ित | 5 |
त्वचा सम्बन्धी बीमारियों से पीड़ित | 40 |
दिमाग सम्बन्धी बीमारियों से पीड़ित | 21 |
हदय रोगों से पीड़ित | 23 |
पेट सम्बन्धी रोगों से पीड़ित | 106 |
अन्य बीमारियों से पीड़ित | 83 |
वर्ष 2010-2015 तक कैंसर व अन्य गम्भीर बीमारियों के कारण असमय मृत्यु को प्राप्त हुए | 42 |
पेयजल के स्रोत | 56 (सरकारी हैण्डपम्प) व 140 (निजी हैण्डपम्प) |
ऐसे हैण्डपम्प जिनका पानी पीना छोड़ दिया गया | 57 |
पानी के परीक्षण का परिणाम
तत्व | मानक | निजी हैण्डपम्प | सरकारी हैण्डपम्प (इण्डिया मार्का) |
पीएच | 6.5-8.5 | 9.5 | 9.5 |
टरबिडिटी | 10 | 15 JTU | 10 JTU |
हार्डनेस | 300 |