ज्वालामुखी
ज्वालामुखी का तात्पर्य उस छिद्र अथवा दरार से होता है जिसका संबंध पृथ्वी के आंतरिक भाग से होता है एवं जिसके माध्यम से तप्त लावा, गैस तथा अन्य पदार्थ धरती के ऊपर आ जाते हैं। ज्वालामुखी क्रिया के अंतर्गत मैग्मा के निकलने से लेकर धरातल या इसके अंदर विभिन्न रूपों में इसके ठंडा होने की प्रक्रिया होती है।
ज्वालामुखी के प्रकार
1. उद्गार की अवधि के आधार पर
(i) जाग्रत ज्वालामुखी -
वर्तमान समय में पृथ्वी पर इस प्रकार के ज्वालामुखियों की संख्या लगभग 500 है। इसके प्रमुख उदाहरण हैं : इक्वेडोर का कोटोपैक्सी, लेपाटी द्वीप का स्ट्राम्बोली, अंटार्कटिका का माउंट इरेबस, हवाई द्वीप का मोनालोवा, अर्जेंटीना-चिली का ओजस डेल, सीमा पर स्थित सालाडो, सिसली द्वीप का माउंट ऐटना, अंडमान निकोबार का बैरन।
(ii) प्रसुप्त ज्वालामुखी -
ऐसे ज्वालामुखी जो एक बार उद्गार के बाद शांत हो जाते हैं तथा कुछ समय की अवधि के बाद भयंकर या कुछ शांत उद्गार के रूप में अपना उद्गार प्रारंभ कर देते हैं। ये अनिश्चित और विनाशक माने जाते हैं। इसके प्रमुख उदाहरण हैं :
- इटली का विसुवियस (चित्र - 4)
- इंडोनेशिया का क्राकातोआ
- जापान का फ्यूजीयामा
- अंडमान-निकोबार का नारकोंडम
(iii) शांत ज्वालामुखी -
जब किसी ज्वालामुखी का उद्गार एक बार होने के बाद हमेशा के लिये शांत हो जाता है, तो उसे शांत ज्वालामुखी कहते हैं, जैसे कि-
इरान का कोहन्सुल्तान एवं देवबंद (चित्र -5), म्यांमार का पोपा, तंजानिया का किलीमांजारो, इक्वेडोर का चिम्बराजो, एंडीज पर का एकांकगुआ।
2. उद्गार प्रवृत्ति के आधार पर
(i) निचली मेंटल :
(ii) केंद्रीय उद्गार :
ये ज्वालामुखी उद्भेदन किसी एक केंद्रीय मुख से भारी धमाके के साथ होता है। ये विनाशात्मक प्लेटों के किनारे के सहारे होते हैं।
इनके प्रमुख प्रकार हैं-
- हवाई तुल्य
- स्ट्राम्बोली तुल्य
- विसुवियस तुल्य
- पीलियन तुल्य (सर्वाधिक विनाशकारी)।
(iii) दरारी उद्भेदन :
भूगर्भिक हलचलों से भूपर्पटी की शैलों में दरारें पड़ जाती हैं। इन दरारों से लावा धरातल पर प्रवाहित होने लगता है, इसे दरारी उद्भेदन कहते हैं। यह रचनात्मक प्लेट किनारों के सहारे होता है। इस प्रकार के उद्गार क्रीटैशियस युग में बड़े पैमाने पर हुए जिससे लावा पठारों का निर्माण हुआ था।
ज्वालामुखी उद्गार के कारण
ज्वालामुखी का विश्व वितरण
(i) परिप्रशांत महासागरीय पेटी
प्रमुख ज्वालामुखी
(ii) मध्य महाद्वीपीय पेटी
(iii) मध्य अटलांटिक पेटी
विश्व के प्रमुख ज्वालामुखी | |
नाम | देश (स्थिति) |
माउंट ऐटना | सिसली (इटली) |
माउंटइरेबस | रॉस (अंटार्कटिका) |
फ्यूजियामा | जापान |
कोटोपैक्सी | इक्वेडोर |
पोपोकैपिटल | मैक्सिको |
मोनालोआ | हवाई द्वीप (यू. एस. ए.) |
लैसेन पीक | सं. रा. अमेरिका |
मेयात | फिलीपींस |
माउंट पीनाटूवो | फिलीपींस |
हेकला | आइसलैंड |
विजुवियस | नेपाल्स की खाड़ी (इटली) |
स्ट्राम्बोली | लिपारा द्वीप (भूमध्य सागर) |
सेंट हेलेंस | सं. रा. अमेरिका |
कोहेन्सुल्तान | ईरान |
देवबंद | ईरान |
एलबुर्ज | जार्जिया |
माउंट अरारात | अर्मेनिया |
किलिमंजारो | तंजानिया |
माउंट सस्ती | सं. रा. अमेरिका |
कटमई | अलास्का (यू. एस. ए.) |
गुआल्लाशीरी | चिली |
लैसकर | चिली |
संगेरु | इंडोनेशिया |
माउंट डिन्जेव | जापान |
क्राकाटोटा | इंडोनेशिया |
माउंट कैमरुन | कैमरुन (अफ्रिका) |
माउंट कीनिया | कीनिया |
माउंट पोपा | म्यांमार |
ओजोस डेल सलाडो | अर्जेंटीना-चिली |
चिम्बारेजो | इक्वेडोर |
माउंट रेनियर | सं. रा. अमेरिका |
लौकी | आइसलैंड |
माउंट रैंजल | कनाडा |
बलकैती | लिपारी द्वीप |
किलायू | हवाई द्वीप (यू. एस. ए.) |
सैंगे | इक्वेडोर |
प्यूरेस | कोलंबिया |
टैम्बोरा | इंडोनेशिया |
ज्वालामुखी द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ
1. वाह्य स्थलाकृतियां
(क) शंकु :
इसके प्रमुख प्रकार हैं-
(i) सिण्डर शंकु :
ज्वालामुखी द्वारा उद्गारित राख, धूल, विखंडित पदार्थों से बना शंकु। उदाहरण : मैक्सिको का ओरल्लो, फिलीपींस का केमिग्विन ज्वालामुखी का शंकु।
(ii) कम्पोजिट शंकु :
ये सार्वजनिक ऊँचे और विस्तृत शंकु होते हैं। उदाहरण : सस्ता, रेनिडियर व हुड (यू. एस. ए.), फ्यूजीनामा (जापान)।
(iii) बेसिक लावा शंकु :
बेसाल्टिक लावा से निर्मित चौड़ा, कम ऊँचा, छिछला शंकु। उदाहरण : हवाई द्वीप के शंकु।
(iv) एसिड लावा शंकु :
सिलिका प्रधान लावा से निर्मित ऊँचा और तीव्र ढलान वाला शंकु। उदाहरण : स्ट्राम्बोली।
(v) लावा डाट :
उदाहरण : ब्लैक हिल एवं डेविल टावर।
(vi) लावा गुंबद :
लेसेन ज्वालामुखी (अमेरिका), पेली पर्वत (मार्टिनिक द्वीप)।
(ख) क्रेटर
काल्डेरा
(ग) दरादी उद्गार से निर्मित आकृति
(i) लावा पठार और गुंबद :
दरारी उद्भेदन के बाद बेसाल्ट लावा विस्तृत मात्रा में क्षैतिज रूप से फैलकर एक के ऊपर दूसरी तहों के रूप में जमकर लावा पठार और लावा गुंबद का निर्माण करते हैं। ब्राजील का पठार, कोलंबिया का पठार इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
(ii) लावा मैदान :
जब लावा का प्रवाह एक चादर के रूप में और कम ऊँचाई में होता है, तो लावा मैदान बनता है।
(iii) मेसा एवं बुटी :
लावा प्रवाह वाले क्षेत्रों में अपरदनकारी शक्तियों द्वारा निर्मित मेजनुमा ऊपरी सतह वाली आकृति मेसा कहलाती है।
2. अभ्यांतरित स्थलाकृतियां
3. अन्य आकृतियां
(क) गेसर
(ख) धुँआरे
ज्वालामुखी - महत्त्वपूर्ण तथ्य
(i) बैम्ब-
बड़े चट्टानी टुकड़े,
(ii) टफ-
धूल के कणों और राख के घमी भवन से बने टुकड़े,
(iii) प्यूमिस-
लावा झान के ठंडे होने पर बने छोटे-छोटे चट्टानी टुकड़े,
(iv) ब्रेसिया-
कोण वाले अपेक्षाकृत बड़े आकार के टुकड़े,
(v) लोपिली एवं स्कोरिया-
मटर के दाने से लेकर अखरोट के आकर वाले टुकड़े।
हल्के पीले, लाल अत्यंत गाढ़े द्रव के रूप में अत्यधिक तापमान पर पिघलने वाला लावा अम्ल प्रधान या एसिड लावा के नाम से जाना जाता है। गहरे काले रंग वाला अधिक भार तथा पतले द्रव के रूप में स्थित लावा को बेसिक लावा कहते हैं। यह पतला होने के कारण धरातल पर शीघ्रता से फैलकर बैठता है। जब ज्वालामुखी से राख एवं लावा का निकलना बंद हो जाता है एवं इसके बाद भी निरंतर विभिन्न तरह की वाष्प एवं गैसें निकलती रहती हैं तो उसे ‘सोल्फतारा’ कहते हैं। वास्तव में यह गंधकीय धुंआरा है। स्ट्राम्बोली से सदैव प्रज्वलित गैसें निकलती रहती हैं, अत: इसे भूमध्य सागर का ‘प्रकाश स्तम्भ’ कहते हैं।
सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखी अमेरिका एवं एशिया महाद्वीपों के तटीय क्षेत्रों में पाये जाते हैं। विश्व में सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित सक्रिय ज्वालामुखी की ‘ओजसडेलसलाडो’ (6,885 मी.) एंडीज पर्वतमाला में अर्जेंटीना एवं चिली की सीमा पर स्थित है। वर्तमान समय में विश्व में सबसे ऊँचा ज्वालामुखी पर्वत माउंट कोटोपैक्सी (19,617 फीट) है। यह इक्वेडोर में है। पश्चिम अफ्रिका का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी माउंट कैमरून है।
विसुवियत ज्वालामुखी (इटली) के विस्फोट से पोम्फीआई, पाम्फर हरक्यूलेनियन एवं स्टेबी नगर पूर्णत: नष्ट हो गये थे। अंटार्कटिका महाद्वीप का एक मात्र सक्रिय ज्वालामुखी माउंट इरेबस है। परिप्रशांत महासागरीय पेटी के अधिकांश ज्वालामुखी शृंखलाबद्ध रूप में पाये जाते हैं। विश्व के सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित मृत ज्वालामुखी एकांकगुआ है, जो एंडीज पर्वतमाला पर है। इसकी ऊँचाई 6,960 मी. है। दक्षिणी अमेरिका एवं अफ्रिका महाद्वीप में (ओगोर्स के अलावा) गेसर नहीं पाये जाते हैं। ज्वालामुखियों का व्यापक विस्तार विनाशात्मक प्लेट के किनारों के सहारे पाया जाता है।