नौकरियां छोड़ रहे हैं भूजल वैज्ञानिक

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भास्कर/विजय मनोहर तिवारी/ March 03, 2009

भोपाल. भूजल को लेकर हालात गंभीर हो रहे हैं और देशभर में भूजल वैज्ञानिक नौकरियां छोड़कर जा रहे हैं। पिछले आठ महीने में अपनी उपेक्षा और सरकारी तंत्र के रवैए से नाराज 20 वैज्ञानिक नौकरी को अलविदा कह चुके हैं। इस समय करीब तीन सौ वैज्ञानिक ही केंद्रीय भूजल बोर्ड में बचे हैं, जबकि जरूरत कम से कम एक हजार की है।

गौरतलब है कि 58 फीसदी सिंचाई और 80 फीसदी पीने का पानी की निर्भरता भूमिगत जल पर है। देश के 450 जिलों में भूजल का असीमित दोहन खतरे की घंटी बजा रहा है। 1971 में वजूद में आए केंद्रीय भूजल बोर्ड की जिम्मेदारी देश की भूमिगत जलसरंचनाओं पर नजर रखने और इसे बचाए रखने के लिए तकनीकी सुझाव देने की है। इसके लिए 1985 तक देश में सात सौ से ज्यादा भूजल वैज्ञानिकों का नेटवर्क था, जो अब तीन सौ से कम बचा है।

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