सहरसा के पटुआहा में बैंक की नौकरी छोड़कर वरुण सिंह ने डेयरी उद्योग लगाया है तथा वर्मी कम्पोस्ट का व्यावसायिक उत्पादन भी शुरू किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें भी प्रोत्साहित किया। पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गांवों की आर्थिक हालत में बेहतरी के लिए वैसे पेड़ लगाने का माहौल बनाया जा रहा है जो कम समय में बड़े होकर किसानों को अधिक पैसे देते हैं। मधेपुरा के सिंहेश्वर में निदान बायोटेक के संचालक सुधीर कुमार सिंह द्वारा आस्ट्रेलियन टीक के उत्पादन का प्रयोग मुख्यमंत्री को इतना पसंद आया कि उन्होंने अपने आवास पर भी लगाने का निर्देश दिए। यह पौधा पांच साल में लाखों रुपए देता है।
हौसला बुलंद हो तो बाधाओं के पहाड़ भी भरभरा कर गिर जाते हैं। दृढ़इच्छा शक्ति से नामुमकिन काम भी आसान हो जाता है, पसीना पत्थरों को पिघलाने में सफल होता है और तब खिलते हैं पत्थरों पर सुगंधित फूल। पहाड़- पुरुष के नाम से विख्यात गया के दशरथ मांझी ने गेहलौर पहाड़ी काटकर रास्ता बनाया था। बिहार ने उनके नाम पर दशरथ मांझी कौशल योजना चलाकर उनके इस जज्बे को सम्मान दिया। गया के ही महादलित सुग्रीव ने अकेले अपने दम पर 130 फुट लंबा और 50 फुट चौड़ा तालाब खोद डाला। सुग्रीव की इस कोशिश को अब सरकारी स्तर पर भी सराहना मिली और प्रशासन ने मनरेगा के तहत इस 'प्रभात सरोवर' के सौंदर्यीकरण की घोषणा की। अब गया के अतरी प्रखंड के ही रामजु मांझी ने पहाड़ काटकर 500 फुट लंबा रास्ता बनाकर नया इतिहास रच डाला है। उम्र के सत्तरवें पड़ाव पर आमतौर आदमी जोखिम भरे कार्यों से परहेज करने लगता है लेकिन रामजु मांझी ने हिम्मत नहीं हारी। अतरी प्रखंड मुख्यालय से धुसरी गांव की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है। रास्ता नहीं रहने के कारण लोगों को पहाड़ पर चढ़कर ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरना पड़ता था। डिहुरी गांव के एक किसान ने मेले में गाय खरीदी और पहाड़ी रास्ते से गांव आते वक्त ही पहाड़ से गिरकर उसकी गाय की मौत हो गई। इस घटना ने रामजु को अंदर से हिला दिया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के विकास को गति दी तो ग्रामीणों में भी उत्साह जगा। अब सूबे के हर कोने में खेती और स्वरोजगार के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। नीतीश ने इस प्रयोगों की न केवल सराहना की है बल्कि अपनी सेवा यात्रा के क्रम में उत्साही ग्रामीणों से मुलाकात कर उनका हौसला भी बढ़ाया है। बांका के बाबूमहल में नुनेश्वर मरांडी का बगीचा हो या सहरसा में वरुण सिंह का वर्मी कंपोस्ट का व्यावसायिक उत्पादन करने वाला केंद्र, मुख्यमंत्री सेवा यात्रा के दौरान हर प्रयोगधर्मी किसान को प्रोत्साहन दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मुहैया कराकर सूबे के रहन-सहन के स्तर में सुधार लाना चाहते हैं और खेती के उन्नत तरीकों से पैदावार बढ़ाकर बेरोजगारी की समस्या के समाधान की भी ख्वाहिश रखते हैं। सेवा यात्रा में इसी दूरगामी लक्ष्य के लिए नींव के पत्थर गाड़े जा रहे हैं।

किसान-भूषण से सम्मानित किसान नुनेश्वर मरांडी अपनी 32 एकड़ जमीन पर आम, कटहल, अमरूद, पपीता, नीबू के उत्पादन के साथ-साथ मछली और मुर्गी पालन भी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने किसानों को डेयरी उद्योग लगाने की भी सलाह दी। इसी तरह सहरसा के पटुआहा में बैंक की नौकरी छोड़कर वरुण सिंह ने डेयरी उद्योग लगाया है तथा वर्मी कम्पोस्ट का व्यावसायिक उत्पादन भी शुरू किया है। मुख्यमंत्री ने उन्हें भी प्रोत्साहित किया। पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गांवों की आर्थिक हालत में बेहतरी के लिए वैसे पेड़ लगाने का माहौल बनाया जा रहा है जो कम समय में बड़े होकर किसानों को अधिक पैसे देते हैं। मधेपुरा के सिंहेश्वर में निदान बायोटेक के संचालक सुधीर कुमार सिंह द्वारा आस्ट्रेलियन टीक के उत्पादन का प्रयोग मुख्यमंत्री को इतना पसंद आया कि उन्होंने अपने आवास पर भी लगाने का निर्देश दिए। यह पौधा पांच साल में लाखों रुपए देता है।


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