स्रोतों का 2.2 करोड़ लीटर पानी घटा
10 Jun 2018
0 mins read

कोई भी सम्पदा कितनी ही अधिक क्यों न हो, यदि उसका संरक्षण न किया जाये तो एक दिन उसे समाप्त होने से कोई नहींं रोक सकता। जल भी ऐसी ही एक सम्पदा है, जिसे संरक्षण के बिना महफूज रख पाना सम्भव नहीं। राज्य गठन से अब तक के 18 साल के अन्तराल की बात करें तो पानी को हमने सिर्फ दोहन का जरिया समझा है। सतह के स्रोत (नदी,झरने) सूखने लगे तो एक पल गँवाए बिना धरती का सीना चीरकर भूजल गटकने लगे। पानी की सिर्फ भोगने वाली प्रवृत्ति का ही नतीजा है कि दून के चार स्रोतों के पानी में 2.2 करोड़ लीटर की कमी आ गई है। दूसरी तरफ रीचार्ज के इंतजाम किये बिना भूजल गटकने के चलते दून के दशकों पुराने 20 ट्यूबवेल के पानी में प्रति मिनट 8255 लीटर की कमी आ गई है।

भूजल व पानी सतह वाले स्रोतों के प्रवाह में कमी के ये आँकड़े सरकारी रिकॉर्ड में लम्बे समय से दर्ज हैं। इसके बाद भी स्रोतों को रीचार्ज करने व भूजल स्तर को बनाए रखने की जगह अधिकारी नये ट्यूबवेल की खुदाई में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इस समय दून में 279 से अधिक ट्यूबवेल से रात-दिन पानी का दोहन किया जा रहा है। नये ट्यूबवेल से बेशक पानी की आपूर्ति बढ़ गई है, लेकिन भूजल पर दबाव भी उसी अनुपात में बढ़ रहा है। दूसरी तरफ भूजल रीचार्ज के भी प्रयास नहीं किये जा रहे।

अगर इस ओर ध्यान दिया जाता तो जिन ट्यूबवेल से लम्बे समय तक पेयजल का दोहन किया गया, आज उनकी साँसे उखड़ती नहीं। दून में तीन ट्यूबवेल ऐसे है, जो 60 के दशक से सेवाएँ दे रहे हैं। इनमें पानी की कमी की बात करें तो अधिकतम 1450 लीटर प्रति मिनट की कमी आ गई है। ऐसे में एक समय वह भी आएगा, जब नये ट्यूबवेलों का पानी भी घटने लगेगा। क्योंकि जमीन के भीतर भले ही अभी पानी पर्याप्त मात्रा में हो, मगर रीचार्ज के बिना उस पर भी संकट बढ़ना तय है। जिस तरह अधिकारी नये ट्यूबवेल पर बल दे रहे हैं और पुराने ट्यूबवेल की रीचार्ज नहीं किया जा रहा, उससे एक समय ऐसा भी आएगा, जब नये ट्यूबवेल के लिये शहर में जगह भी नहीं बच पाएगी। लिहाजा, यदि हम नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ी को गम्भीर पेयजल संकट से जूझना पड़ेगा।

स्रोतों की राज्य गठन से पूर्व व वर्तमान स्थिति

स्रोत

पूर्व

वर्तमान

बांदल

13.50

09

बीजापुर

08

06

गलोगी

15

07

शिखर फॉल

14

06

(प्रवाह मिलियन लीटर प्रतिदिन में)

शहर से बाहर भी पानी की वही कहानी

दून शहर के बाहर पूरे जिले की बात करें तो राज्य गठन से अब तक 25 जलस्रोतों के पानी में 60 फीसद से अधिक की कमी आ गई है। हालात यही रहे तो आने वाले समय में इनमें ना के बराबर पानी रह जाएगा।

जल स्रोतों की स्थिति (लीटर प्रति मिनट)

ब्लॉक

वर्ष 2000 से पहले

अब

रायपुर

110

49

सहसपुर

45

14

डोईवाला

261

169

कालसी

198

74

चकराता

144

31

ट्यूबवेल, जिनकी उखड़ने लगी साँसें

ट्यूबवेल

निर्माण वर्ष

प्रवाह (पहले)

प्रवाह (अब)

कोलागढ़

1981

1800

800

कौलागढ़-दो

1975

1500

1000

राजेन्द्र नगर-दो

1980

2500

1000

कौलागढ़ गली न. 8

1800

1500

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading