जन-पंचायत में जनता की बात को जल सत्याग्रह करने वाले 61 वर्षीय किशोर कोडवानी को भी मानना पड़ा। और इस तरह बीते आठ दिनों से चला आ रहा पीपल्याहाना तालाब का जल सत्याग्रह फिलहाल सशर्त खत्म हो गया है। इससे पहले शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद आन्दोलन में सकारात्मक बदलाव करते हुए जल सत्याग्रह को सत्याग्रह में तब्दील कर दिया गया था। मुख्यमंत्री के मौखिक आदेश को लेकर किशोर कोडवानी संशय में थे और सरकार के लिखित आदेश की माँग पर अड़े थे। बूढ़ा तालाब जैसे खुशी से गदगद होकर हिलोरें ले रहा है। उसकी दूर– दूर तक उठती लहरें ऐसी लग रही हैं, जैसे तालाब की खुशी एवं शहर के लोगों का प्रेम और सम्मान से उसकी छाती चौड़ी हो रही हो। आज का यह अभूतपूर्व दृश्य देखकर शायद तालाब की भी आँखें छलछला आई होंगी। इतना प्यार और मान-सम्मान पाकर फूला नहीं समा रहा होगा।
सौ साल तक जिस तालाब ने शहर के लोगों को दिया ही दिया, उसके लिये संघर्ष करके अपने तालाब को बचा लिये जाने की खुशी इन्दौर के इन हजारों लोगों के उत्साह और जश्न देखकर ही समझी जा सकती है।
दरअसल यह नजारा है मध्य प्रदेश में इन्दौर शहर के पूर्वी भाग में स्थित पीपल्याहाना तालाब के किनारे 17 जुलाई 2016 की सुबह का। यहाँ लम्बे संघर्ष और जल सत्याग्रह के बाद लोगों ने जीत हासिल की है। यह जनता की जीत है, जिसका जश्न मनाया जा रहा है। यहाँ उमड़ी भीड़ में लोगों की खुशियाँ देखते ही बनती है। सौ साल पुराना अपना तालाब बचा लिये जाने की जीत की चमक उनके चेहरों पर साफ नजर आ रही है।
पीपल्याहाना तालाब बचाने के लिये हाथों में तिरंगा लिये जोश में नारेबाजी करते हजारों लोगों के हुजूम ने जमकर खुशियाँ मनाई। यहाँ सुबह से ही लोग जुटने लगे थे। शहर के अलग–अलग हिस्सों से लोग अपने वाहनों से तिरंगा झंडा लहराते हुए चले आ रहे थे।
भारी भीड़ की वजह से पुलिस को बार–बार ट्रैफिक सम्भालने के लिये मशक्कत करनी पड़ी। यहाँ जन-पंचायत भी हुई और जन-पंचायत ने फैसला लिया गया कि राज्य सरकार ने तालाब को बचाने की घोषणा कर दी है। कोर्ट भवन के लिये अन्यत्र जगह का चुनाव करने के लिये भी एक समिति गठित की गई है। ऐसे में जनता को फिलहाल तालाब बचाने का अपना सत्याग्रह सशर्त रूप से खत्म कर देना चाहिए। उनकी माँगों को शासन ने सुना है, गम्भीरता से लिया है और इस बाबत निर्णय भी किये हैं।

यदि फिर भी कोई परेशानी आती है या शासन अपनी बात से मुकरता है तो पूरा इन्दौर शहर एक बार फिर से पीपल्याहाना तालाब के किनारे इकट्ठा हो जाएगा। हम सब 21 जुलाई से आमरण अनशन आन्दोलन की शुरुआत करेंगे।
जन-पंचायत में जनता की बात को जल सत्याग्रह करने वाले 61 वर्षीय किशोर कोडवानी को भी मानना पड़ा। और इस तरह बीते आठ दिनों से चला आ रहा पीपल्याहाना तालाब का जल सत्याग्रह फिलहाल सशर्त खत्म हो गया है। इससे पहले शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद आन्दोलन में सकारात्मक बदलाव करते हुए जल सत्याग्रह को सत्याग्रह में तब्दील कर दिया गया था।
मुख्यमंत्री के मौखिक आदेश को लेकर किशोर कोडवानी संशय में थे और सरकार के लिखित आदेश की माँग पर अड़े थे। उन्होंने साथियों के आग्रह पर जल सत्याग्रह तो निरस्त कर दिया था, लेकिन तालाब के किनारे उन्होंने सत्याग्रह शुरू कर दिया था। उनका तर्क था कि कल को न्यायालय में शासन ने अपना पक्ष बदल लिया तो वे जनता को क्या जवाब देंगे।

कांग्रेस विधायक और पीपल्याहाना तालाब के आन्दोलन से प्रारम्भ से ही जुड़े जीतू पटवारी ने जन पंचायत में कहा कि यह किसी राजनैतिक दल की जीत या हार नहीं है। यह इन्दौर के लोगों के संघर्ष की जीत है। तालाब की लड़ाई में सभी दलों के राजनेताओं और जन-प्रतिनिधियों ने बराबरी से खड़े रहकर तालाब को बचाया है। लेकिन अब नैतिक रूप से यह जरूरी है कि हम कुछ दिनों के लिये सरकार की बात का भरोसा कर अपना आन्दोलन खत्म करें।
हमारी सांसद और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने व्यक्तिगत रूप से भरोसा दिलाया है कि तालाब के पर्यावरण से किसी को किसी तरह का खिलवाड़ नहीं करने देंगे। ऐसी स्थिति में हमें आन्दोलन को निरस्त करना चाहिए।
आज हम इस बात की शपथ लेते हैं कि यदि तालाब पर फिर कोई संकट आएगा तो हम सब दुगने उत्साह के साथ पूरजोर तरीके से फिर इसका विरोध करेंगे। सबसे पहले आमरण अनशन पर मैं बैठूँगा। इसका उपस्थित जन-समुदाय ने करतल ध्वनि से समर्थन किया। उन्होंने मंच से ही कोडवानी से सत्याग्रह निरस्त करने का आग्रह किया।

जन पंचायत में ही तालाब के गहरीकरण और तालाब पाटने के लिये डाली गई मिट्टी हटाने की भी सांकेतिक शुरुआत की गई। हालांकि इसका मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने विरोध किया लेकिन कोडवानी अड़ गए कि आज जनता की मौजूदगी में ही यहाँ से मलबा हटाने की शुरुआत करनी पड़ेगी। प्रशासन चाहे तो हमारे खिलाफ मामला दर्ज कर सकता है। बाद में लोगों ने एक डम्पर मिट्टी हटाकर इसका औपचारिक प्रारम्भ किया।
पीपल्याहाना तालाब आन्दोलन में लोगों की सहभागिता और इसकी सफलता ने लोगों को अभिभूत कर दिया है। बुजुर्ग लोगों ने बताया कि इससे पहले सत्तर के दशक में भी इन्दौर शहर के लोगों ने ऐसी ही अभूतपूर्व एकजुटता का परिचय देते हुए शहर में नर्मदा का पानी लाने का आन्दोलन किया था। तब भी नेताओं और जन प्रतिनिधियों ने राजनैतिक प्रतिस्पर्धा से ऊपर उठकर शहर के हित में बड़ा आन्दोलन खड़ा किया था।
तब कहीं जाकर यहाँ से डेढ़ सौ किमी दूर नर्मदा नदी से पानी लाने की योजना को राज्य सरकार को मंजूरी देनी पड़ी थी। तब भी पूरे इन्दौर में दीवाली मनाई गई थी। आज भी इसी तरह का दिन है। लोगों ने यह भी तय किया कि वे ऐसी ही लड़ाई आने वाले दिनों में कचरे की समस्या हल करने और ट्रेचिंग ग्राउंड हटाने के लिये भी जल्दी ही करेंगे।
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