वायु और जल
15 Oct 2018
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candel

आप पढ़ चुके हैं कि वायु गैसों का मिश्रण है और पर्यावरण का मुख्य अजैविक घटक है। वायु एक बहुत महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है, जैसा कि सभी जीवित प्राणी वायु में साँस लेते हैं। मनुष्य एक दिन में लगभग 22,000 बार साँस लेता है और इस दौरान लगभग 16 किलोग्राम वायु उसके शरीर में प्रवेश करती है।

वायु की ही तरह, जल भी पर्यावरण का दूसरा अजैविक घटक है और सभी जीवित प्राणियों के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है। जल प्रचुर मात्रा में मिलने वाला और नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन है। पृथ्वी का लगभग तीन चौथाई भाग जल से ढका है। जल प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था के साथ ही संयुक्त रूप में पाया जाता है। जल के अलग-अलग गुणधर्म इसे बहुत ही उपयोगी, महत्त्वपूर्ण और दैनिक जीवन के लिये आवश्यक बना देते हैं। हम इस पाठ में वायु और जल के विषय में पढ़ेंगे।

उद्देश्य

1. वायु के विभिन्न अवयवों की उनकी मात्रा के अनुसार तालिका बना सकेंगे ;
2. वायु के विभिन्न अवयवों (O2, N2, CO2) की महत्ता और उनके उपयोग को समझा सकेंगे एवं वायु दाब व हमारे लिये उसके उपयोग का संक्षिप्त विवरण दे सकेंगे;
3. वायु के विभिन्न प्रदूषकों, उनके विभिन्न उत्पन्न परिणामों एवं इन वायु प्रदूषकों के नियंत्रण के उपायों को सूचीबद्ध कर सकेंगे;
4. जल के विभिन्न स्रोतों की पहचान एवं उनके गुणों का उल्लेख कर सकेंगे;
5. पेय (पीने योग्य) एवं अपेय जल में अन्तर स्पष्ट कर सकेंगे एवं जल को पीने योग्य बनाने के लिये साधारण तरीकों की व्याख्या कर सकेंगे;
6. जल प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों उनके द्वारा उत्पन्न परिणामों एवं जल प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को वर्णित कर पाएँगे;
7. जल संरक्षण के महत्त्व एवं बारिश आधारित जल कृषि (संवर्धन) को मान्यता दे पाएँगे।

26.1 वायु का संघटन

प्राचीन दार्शनिक वायु को एक महत्त्वपूर्ण तत्व मानते थे। सन 1674 में मायो ने यह सिद्ध किया कि वायु तत्व नहीं है वरन दो पदार्थों का मिश्रण है जिनमें एक सक्रिय है व दूसरा निष्क्रिय। सन 1789 में लेवोसियर ने सक्रिय तत्व को ऑक्सीजन नाम दिया व कहा कि आयतन के अनुसार यह वायु का 1/5 वां भाग है जबकि निष्क्रिय तत्व को नाइट्रोजन कहा गया और आयतन के अनुसार वह वायु का लगभग 4/5 वां भाग है। वायु में ऑक्सीजन व नाइट्रोजन का अनुपात आयतन के अनुसार लगभग 1: 4 है।

वायु गैसों का एक मिश्रण है। समुद्र सतह पर शुष्क वायु का संघटन तालिका 26.1 में दिया गया है।

तालिका 26.1: वायु का संघटन

गैसें

संघटन (आयतन का प्रतिशत)

नाइट्रोजन (N2)

78.03

ऑक्सीजन (O2)

20.09

ऑर्गन (Ar)

0.94

कार्बन डाईऑक्साइड (CO2)

0.033

अक्रिय गैसें (नियॉन, हीलियम, क्रिप्टॉन, ज़ीनान: Ne, He, Kr, Xe)

0.0020


वायु में जल की मात्रा अलग-अलग स्थानों पर भिन्न होने के कारण तालिका में नहीं दी गई है।
ऊपर दी गई कौन सी गैसें निम्नांकित के लिये महत्त्वपूर्ण हैं:-

(क) प्रकाश संश्लेषण (ख) श्वसन
हाँ, आप सही हैं:- (क) कार्बन डाइऑक्साइड (ख) ऑक्सीजन

क्रियाकलाप 26.1
वायु में कार्बन डाइऑक्साइड के अध्ययन के लिये, आइए एक सामान्य क्रियाकलाप करते हैं।

उद्देश्यः- वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति दर्शाना।

आपको क्या चाहिए?

एक परखनली, कांच का गिलास, ताजा बना चूने का पानी, दो छेदों वाला कार्क, दो छेद किया हुआ थर्मोकोल का टुकड़ा, 90° के कोण पर मुड़ी हुई दो काँच की नलियां, सीधे कोण पर झुकी नलियां।

आपको क्या करना है?

1. परखनली कांच के गिलास में लगभग 4 ml ताज़ा बना चूने का पानी लें। परखनली गिलास के मुँह को कॉर्क / थर्माकोल (दो छेद वाला) से बंद कर दें, जिससे कि वे वायुरुद्ध हो जाएँ। आप वेसिलीन का प्रयोग कर सकते हैं।

2. कार्क के छिद्रों द्वारा परखनली में काँच की नलियां इस प्रकार डालें कि एक नली पानी में डूबी हो व दूसरी पानी की सतह से ऊपर रहे।
3. वह नली जो चूने के पानी से बाहर है, उससे परखनली की हवा को मुँह द्वारा बाहर खींच लें।

नोटः- रात भर पानी में भीगते चूने से स्वच्छ चूने का जल बनाया जा सकता है। चूने का पानी सुपरनेटेंट (प्लावी) है।

वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति दर्शाने के लिये प्रयोगात्मक व्यवस्थापनवायु में कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति दर्शाने के लिये प्रयोगात्मक व्यवस्थापन आप क्या देखते हैं?

परखनली में चूषण के कारण वायु दबाव गिर जाता है। परखनली में कम हुए दबाव को पूरा करने के लिये बाहर की हवा, चूने के पानी में डूबी हुई नली के द्वारा बुलबुलों के रूप में प्रवेश करती है।

आप देखेंगे कि एक मिनट बाद चूने का पानी दूधिया हो जाता है। क्या आप इसका कारण स्पष्ट कर सकते हैं? हाँ आप सही हैं। कार्बन डाइऑक्साइड ही चूने के पानी को दूधिया कर सकती है। क्या वायु में उपस्थित CO2 की अल्प मात्रा चूने के पानी को दूधिया करने में समर्थ है? कृपया अपने बड़ों/पुस्तकों की सहायता से ज्ञात करें।

पाठगत प्रश्न 26.1

1. एक रासायनिक पदार्थ तत्व, मिश्रण या यौगिक की तरह हो सकता है। इसमें वायु किस श्रेणी में आती है?
2. वायु के मुख्य संघटकों के नाम बताइए। पौधों और जानवरों के जीवनयापन के लिये कौन सा संघटक अनिवार्य है?
3. यदि आप पर्यावरण में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन की परस्पर मात्रा की तुलना करें तो कौन सी मात्रा अन्य की तुलना में चार गुना है?
4. वायु में जल वाष्प भी होती है। लेकिन क्या सभी जगहों पर इसका प्रतिशत समान रहता है?

26.2 वायु के विभिन्न अवयवों का महत्त्व

ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड - मानव जाति, जन्तुओं और वनस्पति दोनों के लिये उपयोगी हैं। ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के बिना जीवन असम्भव है। हमारे जीवन में जल वाष्प का भी बहुत महत्त्व है।

26.2.1 ऑक्सीजन

हम पृथ्वी पर रहते हैं, पृथ्वी वायु से घिरी है और वायु में ऑक्सीजन है। ऑक्सीजन वायु का एक मुख्य भाग, और ऑक्सीजन के बिना जीवन असम्भव है। ऑक्सीजन का महत्त्व और उपयोगिता इस प्रकार हैः-

(क) सामान्य उपयोग

i. ऑक्सीजन लगभग सभी जीवों में श्वसन के लिये अति आवश्यक है।
ii. यह दहन में सहायक है और ऑक्सीजन की उपस्थिति में पदार्थ आसानी से जलते हैं।
iii. द्रव ऑक्सीजन का रॉकेट-ईंधन के उपचायक के रूप में प्रयोग होता है जिसे द्रव उपचायक (Liquid Oxidant, LOX) कहते हैं।
iv. वायु ऑक्सीजन जल में घुल जाती है जो जीवों के लिये श्वसन का स्रोत है।
v. अधिक ऊँचाई पर पर्वतारोहण के समय पर्वतारोहियों द्वारा अधिक ऊँचाई पर उड़ान के समय और ऑक्सीजन सिलेण्डर इस्तेमाल किए जाते हैं तथा अग्निशमन के दौरान अग्निशामकों द्वारा की जाती है।
vi. लोहे पर जंग ऑक्सीजन और जल की उपस्थिति में लगती है।

(ख) चिकित्सा में उपयोग

1. यह दमा के रोगियों या गैस विषाक्तीकरण ऑक्सीजन और अस्पतालों में कृत्रिम श्वसन के लिये ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है।
2. ऑक्सीजन और नाइट्रस ऑक्साइड के मिश्रण को शल्य क्रिया में निश्चेतक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

(ग) औद्योगिक उपयोग

इस्पात उद्योग में:- लोहे में उपस्थित अशुद्धियाँ ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाकर दूर की जाती है।

काटने और वेल्डिंग (Welding) के लियेः- ऑक्सीजन को हाइड्रोजन (हाइड्रोजन टॉर्च में) या ऐसीटिलीन (ऑक्सी ऐसीटिलीन टार्च में) के साथ मिलाया जाता है। यह मिश्रण बहुत अधिक तापमान उत्पन्न करने के लिये जलाया जाता है एवं धातुओं को काटने एवं वेल्डिंग के लिये उपयोग किया जाता है।

सल्फ़र से सल्फ़्यूरिक अम्ल और अमोनिया (NH3) से नाइट्रिक अम्ल के उत्पादन में भी ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है।

ऑक्सीजन के हानिकारक प्रभाव

1. संक्षारण का अर्थ है कि वैद्युत रासायनिक प्रक्रिया द्वारा किसी धातु का ह्रास होना है। संक्षारण का सबसे साधारण सा उदाहरण लोहे में ज़ंग लगना है। ऑक्सीजन गैस और पानी की उपस्थिति के कारण लोहे में ज़ंग लग जाती है। ठीक उसी प्रकार अन्य दूसरी धातुएँ जैसे ऐल्युमिनीयम और तांबा भी ऑक्सीजन की उपस्थिति के कारण धीरे-धीरे संक्षारित हो जाते हैं। क्या आप ऐसे किन्हीं जो ज़ंग लगे आइटमों (वस्तुओं) की सूची बना सकते हैं जिन्हें आपने देखा हो। दिये गये स्थान में आप उनके नाम लिखिए।

2. ऑक्सीजन अधिकतर सभी तत्वों के साथ मिलकर ऑक्साइड बनाती हैं।

26.2.2 नाइट्रोजन

नाइट्रोजन प्रोटीन का मुख्य संघटक है। अनेक ऐमीनो अम्ल जिनमें नाइट्रोजन होती है, मिलकर प्रोटीन बनाते हैं। प्रोटीन से शरीर बनता है। शरीर की विभिन्न जैवरासायनिक क्रियाओं में जो एन्ज़ाइम उत्प्रेरक का कार्य करते हैं, उनमें से अधिकांश प्रोटीन होते हैं। नाइट्रोजन के मुख्य उपयोग इस प्रकार हैं:-

1. नाइट्रोजन ऑक्सीजन की क्रियाशीलता को कम करता है। यदि वायु में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ा दिया जाए तो उपापचय, दहन और संक्षारण जैसे प्रक्रम बहुत तेज़ और नुकसानदायक हो जाएँगे। नाइट्रोजन की उपस्थिति के कारण भोजन का ऑक्सीकरण और ईंधन के दहन की दर संयत (धीमे) हो जाती है।

2. नाइट्रोजन यौगिक, वनस्पति के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि ये प्रोटीन उत्पादन में सहायक होते हैं। मानव एवं जन्तु पौधों से ही प्रोटीन प्राप्त करते हैं। प्रोटीन के कार्यों को याद करें और बढ़ते बच्चों में प्रोटीन की कमी से होने वाली बीमारी का नाम बताएँ।

26.2.3 कार्बन डाइऑक्साइड

वायु में कार्बन डाइऑक्साइड का प्रतिशत एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवर्तनशील है। मनुष्य की कौन सी दो ऐसे क्रियाकलाप हैं जो वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ने के लिये जिम्मेदार हैं।

कार्बन डाइऑक्साइड के मुख्य उपयोग हैं:-

1. प्रकाश संश्लेषण के दौरान, पौधे वायु से कार्बन डाइऑक्साइड और जलवाष्प को क्लोरोफिल और प्रकाश की उपस्थिति में ग्लूकोज़ में परिवर्तित कर देते हैं।

2. कार्बन डाइऑक्साइड जल में घुलकर कॉर्बनिक एसिड H2CO3 बनाती है जो चट्टानों में मौजूद कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3 ), मैग्नीशियम कार्बोनेट (MgCO3) से मिलकर Ca(HCO3) और Mg(HCO3) बनाती है। ये लवण पानी को उसका प्राकृतिक जल और भूमि व पौधों को Ca2+, Mg2+ (कैल्शियम, मैग्नीशियम) आयन प्रदान करते हैं, जो उनकी वृद्धि के लिये आवश्यक हैं।

3. यह खाद्य परिरक्षण में भी काम आती है। जब अनाज को वातावरणीय कार्बन डाइऑक्साइड के साथ भण्डारित करते हैं तो कीड़े अनाज को नुकसान नहीं पहुँचा पाते। क्या आप इसका कारण बता सकते हैं।

4. ठोस CO2 शुष्क बर्फ (Dry ice) कहलाती है और यह प्रशीतक की तरह इस्तेमाल होती है।

6. पानी में घुलनशील होने के कारण यह मृदु या कार्बोनेटिड पेय (Carbonated drinks) बनाने के काम आती है। जब हम शीतल पेय की बोतल खोलते हैं तो जो बुदबुदाहट बाहर आती है, वह कार्बन डाइऑक्साइड होती है।

7. यह अग्निशामकों में अग्निशमन के लिये इस्तेमाल की जाती है।

कार्बन डाइऑक्साइड के हानिकारक प्रभाव

कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीन हाउस गैस है। यह अवरक्त विकिरण (इन्फ्रारेड रेडिएशन) को रोक लेती है और इसका परिणाम भौगोलिक तापन के रूप में दिखाई देता है।

26.2.4 वाष्पन

हम जानते हैं कि वायु में जलवाष्प होती हैं। वायु में इसकी मात्रा सब जगह समान नहीं होती। यह समुद्र के ऊपर और निम्न अक्षांश पर अधिकतम होती है और भूमि और ध्रुवीय क्षेत्रों में वाष्प की मात्रा कम होती है। यह सर्दी की अपेक्षा ग्रीष्म ऋतु में अधिक होती है।

यद्यपि जल वाष्प वायुमण्डल का बहुत छोटा भाग होता है परंतु यह वातावरण के तापन एवं शीतलन में और दैनिक मौसम के बदलाव में यह प्रमुख भूमिका निभाते हैं। वास्तव में बादल, वर्षा, कोहरा, हिमपात, पाला और ओस जो भी हम अनुभव करते हैं, सभी वातावरण में उपस्थिति का परिणाम है।

परन्तु वायुमण्डल में जलवाष्प आते कहाँ से हैं? यह वातावरण में वाष्पन के कारण आते हैं। वाष्पन वह प्रक्रम है जिसमें किसी भी स्रोत का पानी ‘ऊष्मा के कारण’ वाष्प में बदल जाता है। पानी के स्रोत से सूर्य की ऊष्मा के कारण जल वाष्पित होकर बादल बनाता है और तब संघनित होकर वर्षा करता है।

बादलों का बनना

वायुमण्डल में जल वाष्प के संघनन से बादल बनते हैं। नमी वाली हवा ऊपर उठते हुए ठण्डी होती जाती है और फि़र बादल बनाती है। जब ओस बिन्दु के पहुँच जाने पर वाष्प संघनन द्वारा छोटे-छोटे जल बिन्दुक या हिम स्फटक (Snow crystals) बन जाती है और ये वायु में विद्यमान धूल कणों पर चिपक जाती है। ऐसे करोड़ों सूक्ष्म जल बिन्दुक और हिम स्फ़टक गिरने के बजाए हवा में तैरते रहते हैं। ये हवा के साथ बादलों के रूप में उड़ते रहते हैं। आकार और ऊँचाई के अनुसार बादल विभिन्न प्रकार के होते हैं। यदि आप आसमान को ध्यान से देखें तो आप देखेंगे कि बादल विभिन्न प्रकार के होते हैं।

ओस बिन्दु (Dew point): वह तापमान जिस पर वाष्प, संघनन के बाद जल की बूँद में परिवर्तित हो जाती है

वर्षा

जब बादल ऊपर उठने से ठण्डे होते जाते हैं या वे वायुमण्डल के ठण्डे क्षेत्र में पहुँच जाते हैं तो जल बिन्दुक और भी ठण्डे होकर पास-पास आ जाते हैं। कई बिन्दुक मिलकर पानी की बूँद बनाते हैं। ये बूँदें इतनी बड़ी हो जाती हैं कि ये हवा में तैर नहीं पातीं और बारिश नीचे पृथ्वी पर गिर जाती हैं। जैसे-जैसे ये नीचे आती हैं, ये अन्य बिन्दुकों को अपने साथ मिलाती जाती हैं। बादलों से इन बड़ी बूँदों के गिरने को वर्षा कहते हैं। यह प्रक्रम अवक्षेपण कहलाता है। वर्षा मापने के यंत्र को वर्षा मापक (Rain gauze) कहते हैं। वर्षा से.मी. में मापी जाती है।

क्या आप जानते हैं

सबसे अधिक वर्षा भूमध्य रेखा के पास के देशों और दक्षिण-पूर्वी एशिया में होती है। इन क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा 200 cm या अधिक होती है। सबसे कम वर्षा टुंड्रा प्रदेश, मध्य एशिया और रेगिस्तानों में होती है, जहाँ यह 25 cm या उससे भी कम होती है। 20-200 सेमी. के बीच की मध्यम वर्षा, पश्चिमी यूरोपीय देशों, टैगा क्षेत्रों और चीन में

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