पुस्तकें
आज तो नदियां हमारे पास हैं
आज तो नदियां हमारे पास हैं,
कम न होगी यह नहीं आभास है।
पेड़ सांसों के कटे, नदियां बिकीं,
कुछ लुटेरों की यहां, रोटी सिकीं,
जेब भरते लोग अक्सर खास हैं
कम न होगी यह नहीं आभास है।
प्यास की नदियां बही है आजकल,
सूखती लहरें बहीं हैं आजकल,
गुम हुआ हर मौसमी आभास है
कम न होगी यह नहीं आभास है।
नदियों के प्रवाहों पर लगा प्रतिबंध है
सब्र का हर टूटता तटबंध है
गीत में भी गुम हुआ उल्लास है
कम न होगी यह नहीं आभास है।
वर्षा, पेड़ों, जंगलों खेतों में है
ऊंचाइयों, गहराइयों, स्रोतों में है।
हर दिलों में एक नदी का वास है,
कम न होगी यह नहीं आभास है।