भूकम्प सुरक्षा एवं परम्परागत ज्ञान
परिमाण, केन्द्र की गहरायी व क्षेत्र की भू-वैज्ञानिक संरचना के आधार पर भूकम्प कम या ज्यादा क्षेत्र को प्रभावित करता है पर भूकम्प मारता किसी को नहीं, मारते हैं तो कमजोर घर।
अतः घरों या अवसंरचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना ही भूकम्प से बचने का सबसे कारगर तरीका है।
उत्तराखण्ड के भूकम्प संवेदनशील पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने अपने अनुभव व अर्जित ज्ञान के आधार पर इस क्षेत्र में आसन्न भूकम्प के खतरे को हमसे कहीं अच्छी तरह से समझा और भूकम्प सुरक्षा के उपरोक्त मूलभूत नियम को आत्मसात करते हुये अपना पूरा ध्यान यहाँ बनने वाले भवनों को भूकम्प सुरक्षित बनाने पर केन्द्रित करते हुये इस क्षेत्र के लिये सर्वथा उपयुक्त भूकम्प सुरक्षित भवन निर्माण प्रणाली का विकास किया।
उत्तराखण्ड के बारे में जानने समझने वाले लोग सहज ही सहमत होंगे कि इस क्षेत्र में बहुमंजिला भवन बनाने की प्रथा रही है। छानी या गौशाला को छोड़कर पारम्परिक भवनों में एक मंजिला भवन ढूँढ पाना यहाँ किसी के लिये भी कठिन हो सकता है।
ईसा पूर्व 350 में ग्रीक वैज्ञानिक व विचारक अरिस्टोटल (Aristotale) ने बता दिया था कि भूकम्प की तीव्रता चट्टानी इलाकों की अपेक्षा भुरभुरी जमीन वाले इलाकों में ज्यादा होती है। |
अब हमारे वैद्य भी तो केवल नाड़ी देख कर गम्भीर से गम्भीर रोग के कारणों का पता लगा लेते थे। आज भी इस पद्धति से उपचार करने वाले वैद्य ऐसा ही करते हैं। आपको नहीं लगता कि यह कुछ-कुछ मिट्टी के भौतिक गुणों को परख कर भूमि की धारण क्षमता के बारे में बताने जैसा ही है। अब जिस तरह आज के हमारे डॉक्टरों की तरह महँगे टेस्ट या परीक्षणों का सहारा न लेने वाले वैद्यों के सामर्थ्य पर हम विश्वास करते हैं, क्या उसी तरह हम अपने इन भूमि की धारण क्षमता बताने वाले लोगों पर विश्वास नहीं कर सकते? |
यहाँ के कुछ बहुमंजिला भवनों को वैज्ञानिक आधार पर भूकम्प सुरक्षित सभी पक्षों का उपयोग करते हुये आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व बनाये जाने की पुष्टि की गयी है। फिर यदि यहाँ बने इन बहुमंजिला भवनों की वास्तुकला से प्रभावित होकर इन्हें यहाँ से ले जा कर भोपाल स्थित इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में स्थापित किया जा सकता है तो क्या हम पर्यटन को बढ़ावा देने व अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिये अपने इन भवनों का संरक्षण नहीं कर सकते हैं। |
कहीं धरती न हिल जाये (इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें) | |
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12 | भूकम्प पूर्वानुमान और हम (Earthquake Forecasting and Public) |
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