नदीहिरनी की तरह मेरे पास आई।हवा कस्तूरी-सी चारों तरफ फैल गई।मैं जैसे कि हर वस्तु से अमरता की तरह गुजराऔर सात्विक कटाक्ष की तरह सँवर गया।‘बूँद की यात्रा’ संग्रह से
नदीहिरनी की तरह मेरे पास आई।हवा कस्तूरी-सी चारों तरफ फैल गई।मैं जैसे कि हर वस्तु से अमरता की तरह गुजराऔर सात्विक कटाक्ष की तरह सँवर गया।‘बूँद की यात्रा’ संग्रह से