हैदरगढ़ - भूला हुआ सबक

हैदरगढ़ - भूला हुआ सबक

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इस सदी की शुरुआत में जब रियासतों के आपसी युद्ध कम हो गए और सुरक्षा का अहसास बढ़ गया तो नवाब परिवार नीचे बस्ती में बने अपने महलों में आन बसा। लेकिन तब भी नवाब अयूब अली को पीने के लिये ऊपर के कुण्डों से ही पानी लाया जाता। जंगल, पहाड़ और जड़ी-बूटियों की बीच से बहकर आया पानी ही उन्हें स्वादिष्ट, पाचक और सेहतमन्द लगता था।

बीमारी से बुरा इलाज

‘कुओं-बावड़ियों का छोड़ो साथ, हैण्डपम्पों का पकड़ो हाथ।’
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