इतिहास की एक नदी को

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इतिहास की एक नदी को
एक बिछुड़े लोगों के शहर के किनारे
मैंने पाया कि गंगा है
गंगा नदी का अवशेष, जल-खँडहर।

बाढ़ आई होगी के बाद
बिछुड़े लोगों के एक शहर में
मिल जाने वाले रास्ते
खो जाने वाले रास्ते हैं।
बिछुड़ों को ढूँढ़ने
मैं इन्हीं खो जाने वाले रास्तों में हूँ
जो नहीं मिले थे
उनको पाने
स्वयं अपने नहीं मिलने में
चला जा रहा हूँ।
इधर-उधर की गलियों में
अपने मिल जाने का समय बिताकर
अपने खो जाने का समय बिताता
जा रहा हूँ।

इस समय चिल्लाकर मैं कह रहा हूँ
कि उस समय तक सुनाई दे
‘मुझे ढूँढ़ना मत।’

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