नमामि गंगे

Published on
1 min read

शिव अलकों की पावन शोभा
अमृत धारा गंगे
मोक्षदायिनी पतितपाविनी
त्रिपथगामिनि गंगे

शैलसुता तुम त्रिविध ताप से
करती थीं उद्धार
सदा निर्मला बहती थी
अब हो विरल धार गंगे

जीवनदायिनी तुमसे बनता था
स्वर्णिम प्रभात
भारत भू की अटल आस्था
अब बदरंग हुई गंगे

मनुज की अमिट लालसा ने
लूटा गंगे तुमको
परेशान सी रहती है अब
यह सुर-सरिता गंगे

नामशेष होती जाती हो
विद्यापति की कविता
कूल किनारे ढूँढ रहे तेरा
पावन आँचल माँ गंगे

लहरों की मंगल ध्वनि ने
गौरवगान गुंजाया था
आज व्यथा के गहन भार से
सिसक रही हो गंगे

याद है माँ तुमने किस किसको
विजयमाल पहनाया था
थोथे नारों से गूँज रहे
उजड़े तट हे नामामि गंगे

भागीरथ तप का प्रताप
स्वयं एक इतिहास हो गंगे
सहमी सहमी लहरों में बहती
हो मलिन आज गंगे
 

सम्बंधित कहानिया

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org